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Maa Katyayani Puja Vidhi

नवरात्रि षष्ठम दिवस: माँ कात्यायनी पूजा विधि, कथा, मंत्र और महत्व

(Maa Katyayani Puja Vidhi) क्या आप जानते हैं कि नवरात्रि का छठा दिन केवल शक्ति की पूजा ही नहीं, बल्कि धर्म की रक्षा का संकल्प भी है? इस दिन पूजित माँ कात्यायनी को शौर्य और साहस की देवी माना जाता है। नवरात्रि की इस नौ दिवसीय आध्यात्मिक यात्रा का छठा दिन माँ दुर्गा के अत्यंत शक्तिशाली और उग्र स्वरूप माँ कात्यायनी को समर्पित है। यदि नवरात्रि के शुरुआती पाँच दिनों ने हमें आंतरिक शक्तियों को जागृत करने की प्रेरणा दी, तो छठा दिन हमें यह सिखाता है कि अन्याय और अधर्म के विरुद्ध खड़े होना कितना आवश्यक है। माँ कात्यायनी का यह स्वरूप हमें धर्म की रक्षा और दुष्टों के संहार के लिए साहस और बल प्रदान करता है।

Maa Katyayani Puja Vidhi नाम का रहस्य और पौराणिक कथा

माँ कात्यायनी का नाम महर्षि कात्यायन से जुड़ा है। पौराणिक कथा के अनुसार, जब महिषासुर नामक राक्षस का अत्याचार चरम पर पहुँच गया था, तब महिषासुर के आतंक से भयभीत होकर सभी देवताओं ने अपनी-अपनी शक्ति का एक अंश निकालकर एक नई शक्ति का सृजन किया।

महर्षि कात्यायन ने सबसे पहले इस दिव्य शक्ति की पूजा की थी, इसलिए वे ‘कात्यायनी’ कहलाईं। महर्षि कात्यायन ने उन्हें अपनी पुत्री के रूप में भी प्राप्त करने की कामना की थी, और माँ दुर्गा ने उनकी यह इच्छा भी पूरी की। जब माँ कात्यायनी ने जन्म लिया, तो वे महर्षि कात्यायन के आश्रम में ही पली-बढ़ीं। महर्षि कात्यायन की तपस्या और भक्ति के कारण ही उन्हें ‘कात्यायनी’ नाम मिला।

ब्रह्मवैवर्त पुराण में, माँ कात्यायनी की पूजा को भगवान कृष्ण को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए भी बताया गया है। गोकुल की गोपियों ने यमुना नदी के तट पर कात्यायनी व्रत रखा था, जिससे उन्हें भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त हुई।

Maa Katyayani Puja Vidhi
Maa Katyayani Puja Vidhi

Maa Katyayani Puja Vidhi और उनका दिव्य स्वरूप

माँ कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत भव्य और प्रभावशाली है। वे शौर्य, साहस और निडरता का प्रतीक हैं:

  • सिंह (वाहन): वे सिंह पर सवार हैं, जो उनकी शक्ति, पराक्रम और अपने भक्तों की रक्षा के लिए उनकी तत्परता को दर्शाता है।
  • चार हाथ: उनके चार हाथ हैं। उनके दाहिने हाथ की ऊपर वाली मुद्रा अभय मुद्रा में है, जो भक्तों को निर्भय रहने का आशीर्वाद देती है। दाहिने हाथ की नीचे वाली मुद्रा वरद मुद्रा में है, जो भक्तों को वरदान देने के लिए तैयार है।
  • अस्त्र-शस्त्र: उनके बाएँ हाथ की ऊपर वाली मुद्रा में तलवार और नीचे वाले हाथ में कमल का फूल है। तलवार अधर्म का नाश करने की शक्ति का प्रतीक है, और कमल का फूल पवित्रता और शांति को दर्शाता है। यह स्वरूप हमें सिखाता है कि बुराई का संहार करते हुए भी हमें अपनी आंतरिक पवित्रता को बनाए रखना चाहिए।
  • काले केश: माँ के बाल काले और बिखरे हुए हैं, जो उनके उग्र स्वरूप को दर्शाते हैं। उनकी पूजा करने वालों को यह अनुभव होता है कि वे अपने सभी शत्रुओं और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षित हैं।

Maa Katyayani Puja Vidhi, पूजा का विशेष महत्व: विवाह, प्रेम और शत्रु नाश

नवरात्रि के छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा का विशेष महत्व है, खासकर उन लोगों के लिए जो विवाह संबंधी समस्याओं का सामना कर रहे हैं या शत्रुओं से भयभीत हैं।

  • विवाह और प्रेम संबंधों में सफलता: जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, अविवाहित लड़कियाँ मनचाहा वर पाने के लिए माँ कात्यायनी की पूजा करती हैं। यह माना जाता है कि उनकी कृपा से विवाह में आने वाली सभी बाधाएँ दूर हो जाती हैं।
  • शत्रुओं पर विजय: माँ कात्यायनी का जन्म ही दुष्टों का संहार करने के लिए हुआ था। उनकी पूजा करने से भक्तों को अपने शत्रुओं, नकारात्मक ऊर्जा और बुरे विचारों से मुक्ति मिलती है। वे अपने भक्तों को शक्ति और आत्म-विश्वास प्रदान करती हैं।
  • आज्ञा चक्र का जागरण: योग शास्त्र के अनुसार, माँ कात्यायनी का संबंध आज्ञा चक्र से है, जो हमारे माथे के बीच में स्थित होता है। यह चक्र अंतर्ज्ञान, ज्ञान और आध्यात्मिक चेतना का केंद्र है। इनकी पूजा से यह चक्र जागृत होता है, जिससे व्यक्ति के भीतर स्पष्टता और सही-गलत को पहचानने की शक्ति आती है।

Maa Katyayani Puja Vidhi और मंत्र: कैसे करें माँ की आराधना

नवरात्रि के छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से की जाती है।

  1. पूजा की तैयारी: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
  2. संकल्प और पूजा: हाथ में जल और फूल लेकर पूजा का संकल्प लें। माँ कात्यायनी को लाल रंग के फूल और वस्त्र अर्पित करें।
  3. भोग: माँ को शहद का भोग लगाना अति शुभ माना जाता है। इससे भक्तों का मन प्रसन्न होता है और सभी कार्य सिद्ध होते हैं।
  4. मंत्र और आरती: उनकी पूजा में इस मंत्र का जाप करें:

माँ कात्यायनी का बीज मंत्र: क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम:

ध्यान मंत्र:

चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना। कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥

पूजन मन्त्र: ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥

निष्कर्ष

माँ कात्यायनी की पूजा हमें यह सिखाती है कि धर्म की रक्षा के लिए कभी-कभी उग्र रूप धारण करना भी आवश्यक होता है। वे हमें यह संदेश देती हैं कि साहस, शौर्य और निडरता से ही हम जीवन की हर चुनौती का सामना कर सकते हैं। नवरात्रि की इस यात्रा में, माँ कात्यायनी हमें शत्रुओं पर विजय और हमारे जीवन में सुख-शांति का आशीर्वाद प्रदान करें।

यदि यह जानकारी आपको उपयोगी लगी हो, तो इसे अपने मित्रों और परिवार के साथ साझा करें और माँ कात्यायनी का आशीर्वाद प्राप्त करें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ) – Maa Katyayani Puja Vidhi

1️⃣ प्रश्न: नवरात्रि के छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा क्यों की जाती है?

उत्तर: नवरात्रि का षष्ठम दिवस साहस, शौर्य और धर्म की रक्षा का प्रतीक माँ कात्यायनी को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पूजा करने से शत्रुओं पर विजय, भय से मुक्ति और मनचाहा विवाह का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

2️⃣ प्रश्न: माँ कात्यायनी की पूजा का शुभ मुहूर्त क्या होता है?

उत्तर: नवरात्रि के छठे दिन प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त या अभिजीत मुहूर्त में पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। हालांकि दिनभर में कोई भी साफ और पवित्र समय चुना जा सकता है।

3️⃣ प्रश्न: माँ कात्यायनी की पूजा में क्या सामग्री आवश्यक है?

उत्तर: पूजा के लिए गंगाजल, लाल या गुलाबी फूल, लाल वस्त्र, शहद, रोली, चावल, दीपक, धूप, फल और प्रसाद की आवश्यकता होती है। शहद का भोग विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

4️⃣ प्रश्न: विवाह में बाधा दूर करने के लिए माँ कात्यायनी की पूजा कैसे करें?

उत्तर: अविवाहित कन्याएं नवरात्रि के छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा कर “ॐ देवी कात्यायन्यै नमः” मंत्र का 108 बार जप करें। नियमित रूप से यह व्रत करने से योग्य जीवनसाथी मिलने का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

5️⃣ प्रश्न: माँ कात्यायनी किस चक्र से संबंधित हैं?

उत्तर: योग शास्त्र के अनुसार, माँ कात्यायनी का संबंध आज्ञा चक्र (भ्रूमध्य) से है। इस चक्र के जागरण से व्यक्ति में आत्मज्ञान, अंतर्ज्ञान और निर्णय लेने की शक्ति बढ़ती है।

6️⃣ प्रश्न: माँ कात्यायनी के वाहन और उनके प्रतीक क्या हैं?

उत्तर: माँ कात्यायनी सिंह पर विराजमान रहती हैं, जो वीरता, शक्ति और निर्भयता का प्रतीक है। उनके हाथों में तलवार, कमल और आशीर्वाद देने की मुद्रा धर्म की रक्षा और पवित्रता को दर्शाती है।

7️⃣ प्रश्न: माँ कात्यायनी की पूजा में कौन-सा भोग सबसे शुभ माना जाता है?

उत्तर: शहद का भोग सबसे उत्तम माना गया है। इसे अर्पित करने से जीवन के सभी कार्य सिद्ध होते हैं और भक्त को शारीरिक व मानसिक शांति प्राप्त होती है।

8️⃣ प्रश्न: क्या पुरुष भी माँ कात्यायनी की पूजा कर सकते हैं?

उत्तर: जी हां, पुरुष और महिलाएं दोनों ही माँ कात्यायनी की पूजा कर सकते हैं। यह पूजा साहस, शत्रु नाश और जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए की जाती है।

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