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Navratri Puja Vidhi

Navratri Puja Vidhi – यदि आप नवरात्रि में हर दिन की सटीक पूजा विधि, मंत्र, शुभ मुहूर्त और विशेष नियम जानना चाहते हैं तो यह पेज आपके लिए एक संपूर्ण मार्गदर्शक है। यहाँ कलश स्थापना से लेकर नौवीं देवी माँ सिद्धिदात्री तक, सभी महत्वपूर्ण जानकारी एक ही स्थान पर उपलब्ध है।

भारत भूमि पर मनाए जाने वाले पर्वों में नवरात्रि का स्थान सर्वोपरि है। यह नौ रात्रियों का महापर्व है, जो आदि शक्ति माँ दुर्गा के नौ दिव्य स्वरूपों को समर्पित है। इन नौ दिनों में शक्ति, भक्ति और साधना का ऐसा अद्भुत समन्वय देखने को मिलता है जो व्यक्ति को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर देता है। यदि आप नवरात्रि की सही पूजा विधि, इसका महत्व और हर दिन के विधान की खोज कर रहे हैं, तो यह पृष्ठ आपके लिए एक संपूर्ण गाइड है। यहाँ आपको कलश स्थापना से लेकर अंतिम दिन की सिद्धि तक की हर आवश्यक जानकारी और विस्तृत पूजा विधि का लिंक मिलेगा।

Navratri Puja Vidhi, विषय सूची (Table of Contents)

यहाँ क्लिक करके आप सीधे अपनी मनचाही जानकारी तक पहुँच सकते हैं:

  1. नवरात्रि का महत्व और शुभ मुहूर्त
  2. नवरात्रि कलश स्थापना की संपूर्ण विधि
  3. पहला दिन: माँ शैलपुत्री
  4. दूसरा दिन: माँ ब्रह्मचारिणी
  5. तीसरा दिन: माँ चंद्रघंटा
  6. चौथा दिन: माँ कूष्मांडा
  7. पाँचवाँ दिन: माँ स्कंदमाता
  8. छठा दिन: माँ कात्यायनी
  9. सातवाँ दिन: माँ कालरात्रि
  10. आठवाँ दिन: माँ महागौरी
  11. नौवाँ दिन: माँ सिद्धिदात्री
  12. व्रत के नियम और पारण

1. नवरात्रि का महत्व और शुभ मुहूर्त

नवरात्रि केवल व्रत-उपवास का समय नहीं है, बल्कि यह आत्म-शुद्धि, तप और ध्यान का समय है। मान्यता है कि इन नौ दिनों में माँ दुर्गा पृथ्वी पर निवास करती हैं और अपने भक्तों के कष्टों को हरती हैं। यह पर्व जीवन में शक्ति, समृद्धि और शुभता लाने का प्रतीक है।

Navratri Puja Vidhi
Navratri Puja Vidhi

हर वर्ष नवरात्रि की शुरुआत चैत्र मास और शरद मास की प्रतिपदा तिथि से होती है। पूजा की शुरुआत हमेशा शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखकर करनी चाहिए।

Navratri Kalash sthapana vidhi

नवरात्रि कलश स्थापना की संपूर्ण विधि

नवरात्रि के पहले दिन, माँ दुर्गा के आह्वान और उन्हें नौ दिनों तक घर में विराजमान रखने के लिए कलश स्थापना या घट स्थापना की जाती है। यह पूरे पर्व का सबसे महत्वपूर्ण और पहला चरण है। घट स्थापना सही विधि और शुभ मुहूर्त में करना अनिवार्य माना गया है।

कलश स्थापना के लिए मिट्टी का पात्र, जौ, सप्तधान्य, गंगाजल, सुपारी, सिक्का और श्रीफल (नारियल) जैसी पूजन सामग्री का सही ढंग से प्रयोग किया जाता है।

विस्तृत जानकारी: कलश को स्थापित करने की सही विधि, मंत्र, और शुभ मुहूर्त के लिए, कृपया हमारे इस ब्लॉग को पढ़ें:

➡️ Navratri Kalash sthapana vidhi

Navratri Pehla din Maa Shailputri
Navratri Pehla din Maa Shailputri

नवरात्रि का पहला दिन: माँ शैलपुत्री

नवरात्रि के पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा की जाती है। ‘शैल’ का अर्थ है पर्वत। पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा गया है। ये नंदी (वृषभ) पर सवार, दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएँ हाथ में कमल धारण करती हैं। माँ शैलपुत्री की पूजा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में स्थिरता आती है।

विस्तृत जानकारी: माँ शैलपुत्री की कथा, मंत्र, और पूजा का सम्पूर्ण विधान जानने के लिए, कृपया यहाँ क्लिक करें:

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Maa Brahmacharini Puja Vidhi
Maa Brahmacharini Puja Vidhi

नवरात्रि का दूसरा दिन: माँ ब्रह्मचारिणी

नवरात्रि का दूसरा दिन माँ ब्रह्मचारिणी को समर्पित है। ‘ब्रह्म’ का अर्थ है तपस्या और ‘चारिणी’ का अर्थ है आचरण करने वाली। यह माँ का अविवाहित स्वरूप है। वे श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, दाहिने हाथ में जपमाला और बाएँ हाथ में कमंडल लिए हुए हैं। माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा से व्यक्ति में त्याग, तपस्या, संयम और वैराग्य की भावना जागृत होती है।

विस्तृत जानकारी: माँ ब्रह्मचारिणी की विस्तृत पूजा विधि, भोग, और विशेष मंत्रों के लिए पढ़ें:

➡️ Maa Brahmacharini Puja Vidhi

Maa Chandraghanta Puja Vidhi
Maa Chandraghanta Puja Vidhi

नवरात्रि का तीसरा दिन: माँ चंद्रघंटा

तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की आराधना की जाती है। इनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र सुशोभित है, इसीलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। इनका स्वरूप अलौकिक है, जो शांति और शक्ति का मेल है। माँ चंद्रघंटा की पूजा से भक्तों को निर्भीकता, सौम्यता और विनम्रता प्राप्त होती है।

विस्तृत जानकारी: माँ चंद्रघंटा की पूजा में शामिल करने योग्य विशेष सामग्री और विधि के लिए, इस ब्लॉग को देखें: ➡️ Maa Chandraghanta Puja Vidhi

Maa Kushmanda Puja Vidhi
Maa Kushmanda Puja Vidhi

नवरात्रि का चौथा दिन: माँ कूष्मांडा

चौथे दिन माँ कूष्मांडा की पूजा का विधान है। मान्यता है कि जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब माँ कूष्मांडा ने अपनी मंद मुस्कान से इस ब्रह्मांड की रचना की थी। इन्हें अष्टभुजा देवी भी कहा जाता है, जिनके हाथों में अस्त्र-शस्त्र और जपमाला है। इनकी उपासना से आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है।

विस्तृत जानकारी: माँ कूष्मांडा को प्रसन्न करने का संपूर्ण विधान और मंत्र:

➡️Maa Kushmanda Puja Vidhi

Maa Skandamata Puja Vidhi
Maa Skandamata Puja Vidhi

नवरात्रि का पाँचवाँ दिन: माँ स्कंदमाता

नवरात्रि का पाँचवाँ दिन माँ स्कंदमाता को समर्पित है। ये भगवान कार्तिकेय (स्कन्द कुमार) की माता हैं, इसलिए इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है। ये कमल के आसन पर विराजमान हैं और चार भुजाएं धारण करती हैं। इनकी पूजा से संतान प्राप्ति और मोक्ष की प्राप्ति का वरदान मिलता है।

विस्तृत जानकारी: माँ स्कंदमाता की संपूर्ण पूजा विधि, भोग, और कथा के लिए पढ़ें:

➡️ Maa Skandamata Puja Vidhi

Maa Katyayani Puja Vidhi
Maa Katyayani Puja Vidhi

नवरात्रि का छठा दिन: माँ कात्यायनी

छठा दिन माँ कात्यायनी का है। महर्षि कात्यायन की पुत्री होने के कारण इनका नाम कात्यायनी पड़ा। इनका स्वरूप अत्यंत भव्य और तेजोमय है। यह दानवों और दुष्टों का नाश करने वाली देवी हैं। अविवाहित कन्याएं उत्तम वर की प्राप्ति के लिए इनकी विशेष पूजा करती हैं।

विस्तृत जानकारी: माँ कात्यायनी की पूजा, विवाह संबंधी बाधाओं को दूर करने के उपाय और विधि:

➡️ Maa Katyayani Puja Vidhi

Maa Kalratri Puja Vidhi
Maa Kalratri Puja Vidhi

नवरात्रि का सातवाँ दिन: माँ कालरात्रि

सातवाँ दिन माँ कालरात्रि का है, जो माँ दुर्गा का सबसे उग्र और भयंकर स्वरूप है। ये दुष्टों का विनाश करती हैं, लेकिन अपने भक्तों के लिए हमेशा शुभ फलदायी होती हैं। इनकी पूजा से भय, रोग और भूत-प्रेत का डर समाप्त होता है। इस दिन विशेष रूप से तंत्र-मंत्र की साधना भी की जाती है।

विस्तृत जानकारी: माँ कालरात्रि की पूजा का विशेष विधान और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने की विधि:

➡️ Maa Kalratri Puja Vidhi

maa mahagauri puja vidhi
maa mahagauri puja vidhi

नवरात्रि का आठवाँ दिन: माँ महागौरी

नवरात्रि का आठवाँ दिन महाअष्टमी कहलाता है, और इस दिन माँ महागौरी की पूजा की जाती है। अपनी तपस्या से इन्होंने गौर वर्ण (गोरा रंग) प्राप्त किया था, इसलिए इन्हें महागौरी कहते हैं। ये अत्यंत शांत और सौम्य स्वरूप वाली हैं। इनकी पूजा से पाप नष्ट होते हैं और जीवन में सुख-शांति आती है। यह दिन कन्या पूजन के लिए भी विशेष महत्वपूर्ण है।

विस्तृत जानकारी: माँ महागौरी की पूजा विधि और कन्या पूजन का सही विधान जानने के लिए पढ़ें:

➡️ Maa Mahagauri Puja Vidhi

maa siddhidatri puja vidhi
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नवरात्रि का नौवाँ दिन: माँ सिद्धिदात्री

नवरात्रि का अंतिम दिन महानवमी कहलाता है और इस दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा होती है। ये सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्रदान करने वाली देवी हैं। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार, आठ सिद्धियाँ (जैसे अणिमा, महिमा, गरिमा, आदि) माँ सिद्धिदात्री की कृपा से ही प्राप्त होती हैं। सभी नौ दिनों की पूजा का फल इसी दिन मिलता है।

विस्तृत जानकारी: माँ सिद्धिदात्री की पूजा, हवन और व्रत के पारण की विधि:

➡️ Maa Siddhidatri Puja Vidhi

Navratri Puja Vidhi, व्रत के नियम, कन्या पूजन और पारण

नवरात्रि के नौ दिनों में व्रत रखने वाले भक्तों को कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए। सात्विक भोजन ग्रहण करना, ब्रह्मचर्य का पालन करना और तामसी वस्तुओं से दूर रहना अनिवार्य है।

कन्या पूजन: अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व है। इसमें 2 से 10 वर्ष तक की नौ कन्याओं को देवी का स्वरूप मानकर उनकी पूजा की जाती है और उन्हें भोजन (हलवा, चना, पूरी) कराया जाता है।

व्रत का पारण: नौ दिनों के व्रत का समापन दशमी तिथि को होता है, जिसे दशहरा या विजयादशमी कहते हैं। इस दिन विधि-विधान से पूजा संपन्न करने के बाद व्रत का पारण किया जाता है।

निष्कर्ष:

यह नवरात्रि का महापर्व आपको शक्ति, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करे। हमें उम्मीद है कि यह पिलर पेज आपको नवरात्रि के हर दिन की पूजा विधि और महत्व को समझने में सहायता करेगा। आप इन सभी ब्लॉग को पढ़कर अपनी पूजा को पूर्णता प्रदान कर सकते हैं।

माँ दुर्गा की कृपा से आपका जीवन सुख, शांति और समृद्धि से भर जाए। जय माता दी!

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs) Navratri Puja Vidhi

Q.1. नवरात्रि में कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त क्या है?

उत्तर: कलश स्थापना हमेशा प्रतिपदा तिथि के दिन सूर्योदय के बाद और दोपहर से पहले करना शुभ माना जाता है। शुभ मुहूर्त के लिए, आपको पंचांग देखकर उस वर्ष की सटीक समय-सीमा को ध्यान में रखना चाहिए।

Q.2. नवरात्रि में कन्या पूजन कब करना चाहिए?

उत्तर: कन्या पूजन मुख्यतः महानवमी (नौवें दिन) को किया जाता है। अष्टमी के दिन पूजन करना सबसे अधिक फलदायी माना जाता है। इसमें नौ कन्याओं और एक बालक (लंगूर) की पूजा की जाती है।

Q.3. नवरात्रि का व्रत खोलने (पारण) का सही तरीका क्या है?

उत्तर: नौ दिनों के व्रत का पारण (व्रत खोलना) दशमी तिथि को किया जाता है। नवमी के दिन हवन और कन्या पूजन के बाद, दशमी तिथि को देवी को भोग लगाकर और प्रसाद ग्रहण करके व्रत का पारण करना चाहिए।

Q.4. क्या नवरात्रि में खंडित प्रतिमा की पूजा कर सकते हैं?

उत्तर: नहीं। पूजा के लिए हमेशा अखंडित और शुद्ध प्रतिमा या चित्र का उपयोग करना चाहिए। यदि पूजा के दौरान कोई प्रतिमा खंडित हो जाए, तो उसे तुरंत हटाकर विधिवत जल में विसर्जित कर देना चाहिए और नई प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए।

Q.5. नवरात्रि में जवारे (जौ) क्यों बोए जाते हैं?

उत्तर: जवारे (जौ) को सृष्टि के आरंभिक अन्न ब्रह्म का प्रतीक माना जाता है। इसे सौभाग्य, समृद्धि और हरी-भरी खुशहाली का प्रतीक माना जाता है। जवारे बोने से माँ अन्नपूर्णा और माँ दुर्गा दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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