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Kaal Bhairav Ashtakam

काल भैरवाष्टकम् पाठ: अर्थ, लाभ, पाठ-विधि और महिमा

🔱 Kaal Bhairav Ashtakam शिव के काल स्वरूप की स्तुति का अद्वितीय माध्यम

मार्गशीर्ष कृष्ण अष्टमी को मनाई जाने वाली काल भैरव जयंती के अवसर पर, भगवान शिव के उग्र स्वरूप काल भैरव की पूजा का विशेष विधान है। इस दिन काल भैरव की कृपा प्राप्त करने का सबसे सरल, सीधा और शक्तिशाली मार्ग काल भैरवाष्टकम् का पाठ है।

यह स्तोत्र आदि शंकराचार्य जी द्वारा रचित है, जिसमें आठ श्लोकों में भगवान भैरव की महिमा, स्वरूप और उनकी शक्ति का गुणगान किया गया है। मान्यता है कि इसका नियमित पाठ करने वाला व्यक्ति हर प्रकार के भय, शत्रु बाधा और दुर्भाग्य से मुक्त होकर जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता प्राप्त करता है।

1. Kaal Bhairav Ashtakam का मूल पाठ हिन्दी अनुवाद सहित

यहाँ काल भैरवाष्टकम् का मूल संस्कृत पाठ हिंदी अनुवाद सहित दिया गया है, जिसे जयंती के दिन या प्रतिदिन पाठ किया जा सकता है |

Kaal Bhairav Ashtakam
Kaal Bhairav Ashtakam

यह स्तोत्र आदि शंकराचार्य जी द्वारा रचित है, जिसमें भगवान भैरव की शक्ति, सौंदर्य और भक्तों के प्रति उनकी करुणा का वर्णन किया गया है |

॥ काल भैरवाष्टकम् ॥ Kaal Bhairav Ashtakam ||

  1. देवराजसेव्यमानपावनाङ्घ्रिपङ्कजं व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम् ।

नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगम्बरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥

हिंदी अनुवाद: मैं उन काल भैरव की वंदना करता हूँ, जिनके पवित्र कमल चरणों की सेवा देवराज इंद्र भी करते हैं, जो सर्प का यज्ञोपवीत धारण करते हैं, जिनके मस्तक पर चंद्रमा है, जो कृपालु हैं, जिन्हें नारद आदि योगियों का समूह पूजता है, जो दिगम्बर (वस्त्र रहित) हैं, और जो काशी नगरी के अधिपति हैं।

  • भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहं नितान्तभक्तवत्सलं समस्तलोकपालकम् ।

     निक्वणन्मनोज्ञहेमकिङ्किणीलसत्कटिं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥

हिंदी अनुवाद: मैं उन काल भैरव की वंदना करता हूँ, जो भोग (सांसारिक सुख) और मुक्ति दोनों प्रदान करने वाले हैं, जिनका विग्रह (स्वरूप) अत्यंत सुंदर और प्रशंसनीय है, जो भक्तों पर अत्यधिक दया करने वाले (भक्तवत्सल) और समस्त लोकों के पालक हैं, और जिनकी कमर मनोहर स्वर्ण घंटियों (किंकिणी) से सुशोभित है, जो काशी के अधिपति हैं।

  • भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परं नीलकण्ठनीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम् ।

कालकालमम्बुजाक्षकन्धराहरं शिवं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥

हिंदी अनुवाद: मैं उन काल भैरव की वंदना करता हूँ, जो करोड़ों सूर्यों के समान तेजस्वी हैं, जो भवसागर से तारने वाले (मुक्ति देने वाले) हैं, जिनका कंठ नीला है (नीलकंठ), जो इच्छित अर्थ (फल) प्रदान करते हैं, जिनके तीन नेत्र हैं, जो काल (मृत्यु) के भी काल हैं, जो कमल के समान नेत्रों वाले हैं, और जो काशी नगरी के अधिपति हैं।

. शूलटङ्कपाशदण्डपाणिमादिकारणं श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम् ।

  भीमवक्रिमभ्रुवं विचित्रताण्डवप्रियं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥

हिंदी अनुवाद: मैं उन काल भैरव की वंदना करता हूँ, जिनके हाथों में त्रिशूल, टंक (छेनी जैसा शस्त्र), पाश (फंदा) और दण्ड (छड़ी) हैं, जो आदि कारण (सृष्टि के मूल) हैं, जिनका शरीर श्याम वर्ण का है, जो आदिदेव, अविनाशी (अक्षर) और रोग रहित हैं, जिनकी भौंहें अत्यंत भयानक रूप से वक्र (टेढ़ी) हैं, और जिन्हें अद्भुत तांडव नृत्य प्रिय है, जो काशी के अधिपति हैं।

जानिए काल भैरव जयंती पूजा विधि और महत्व

  • रत्नपादुकाप्रभाविरामपादयुग्मकं नित्यमद्वितीयमिष्टदैवतं निरञ्जनम् ।

मृत्युदर्पनाशनं करालं दंष्ट्रभीषणं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥

हिंदी अनुवाद: मैं उन काल भैरव की वंदना करता हूँ, जिनके दोनों चरण रत्नों से जड़ी पादुकाओं की आभा से अत्यंत सुंदर लगते हैं, जो नित्य (हमेशा रहने वाले), अद्वितीय, इष्ट देव और दोष रहित (निरंजन) हैं, जो मृत्यु के अहंकार को नष्ट करते हैं, और जिनके दाँत (दंष्ट्रा) अत्यंत भयानक हैं, जो काशी के अधिपति हैं।

  • धर्मसेतुपालनमधर्ममार्गनाशनं कर्मपाशमोचनं सुकर्मदायकं प्रभुम् ।

सुवर्णवर्णकेशपाशशोभिताङ्गनिर्मलं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥

हिंदी अनुवाद: मैं उन काल भैरव की वंदना करता हूँ, जो धर्म के सेतु (पुल) की रक्षा करते हैं और अधर्म के मार्ग को नष्ट करते हैं, जो कर्मों के बंधनों (पाश) से मुक्ति देते हैं और शुभ कर्मों का फल प्रदान करते हैं, जिनका निर्मल अंग सोने के रंग के केशपाश (बालों के समूह) से सुशोभित है, और जो काशी के अधिपति हैं।

  • अट्टहासभिन्नपद्द्मजाण्डकोटिसन्ततिं दृष्टिपातनष्टपापजालमुग्रशासनम् ।

अष्टसिद्धिदायकं कपालमालिकाधरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥

हिंदी अनुवाद: मैं उन काल भैरव की वंदना करता हूँ, जिनके भयानक अट्टहास से ब्रह्मा के करोड़ों ब्रह्मांडों के समूह विदीर्ण हो जाते हैं, जिनकी दृष्टि पड़ते ही पापों का समूह नष्ट हो जाता है, जो उग्र (कठोर) शासन वाले हैं, जो अष्ट सिद्धियाँ प्रदान करने वाले हैं, और जो कपालों की माला धारण करते हैं, जो काशी के अधिपति हैं।

  • भूतसङ्घनायकं विशालकीर्तिदायकं काशिवासकोकपुण्यपापशोधनप्रभुम् ।

नीतिमार्गकोविदं पुरातनं जगत्प्रभुं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥

हिंदी अनुवाद: मैं उन काल भैरव की वंदना करता हूँ, जो भूत-समूहों के नायक हैं, जो विशाल कीर्ति (यश) प्रदान करते हैं, जो काशी में निवास करने वाले लोगों के पाप-पुण्य का शोधन करने वाले स्वामी हैं, जो नीति के मार्ग को जानने वाले हैं, जो पुरातन (अनादि) और जगत के प्रभु हैं, और जो काशी के अधिपति हैं।

Kaal Bhairav Ashtakam फलश्रुति (अंतिम श्लोक):

कालभैरवाष्टकं पठन्ति ये मनोहरं ज्ञानमुक्तिसाधनं पवित्रपुण्यवर्धनम् । शोकमोहदैन्यलोभकोपतापनाशनं ते प्रयान्ति कालभैरवादि सेवितं प्रभुं हरम् ॥

हिंदी अनुवाद: जो लोग इस मनोहर काल भैरवाष्टकम् का पाठ करते हैं, जो ज्ञान और मुक्ति का साधन है, जो पवित्र पुण्य को बढ़ाता है, तथा शोक, मोह, दीनता (गरीबी), लोभ, क्रोध और संताप को नष्ट करता है, वे निश्चित रूप से काल भैरव द्वारा पूजित भगवान शिव के धाम को प्राप्त करते हैं।

2. काल भैरवाष्टकम् का अर्थ और महत्व

यह स्तोत्र भगवान काल भैरव के विभिन्न गुणों और स्वरूपों का वर्णन करता है:

  • देवराजों द्वारा पूजित: यह बताता है कि जिनके चरण कमलों की सेवा इंद्र जैसे देवराज भी करते हैं, और जो चंद्रमा को अपने मस्तक पर धारण करते हैं, वह काशी के स्वामी काल भैरव हैं।
  • काल के भी काल: उन्हें काल-काल कहा गया है, जिसका अर्थ है—जो मृत्यु (काल) को भी नियंत्रित करते हैं। वे तीनों लोकों को देखने वाले, नीले कंठ वाले (शिव के समान) और अनंत हैं।
  • काशी के कोतवाल: हर श्लोक का अंतिम चरण उन्हें काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे” कहकर काशी के स्वामी के रूप में पूजता है, जो भक्तों को मोक्ष प्रदान करने वाले हैं।
  • अखंड ज्ञान और मुक्ति: यह स्तोत्र भक्ति और मुक्ति दोनों प्रदान करने वाला है। यह भक्तवत्सल हैं और समस्त लोकों में समाहित हैं।

मुख्य उपयोग: इसका पाठ करने से व्यक्ति के शोक (दुःख), मोह, दैन्य (गरीबी), लोभ और क्रोध जैसे सभी नकारात्मक भाव नष्ट होते हैं।

3. काल भैरवाष्टकम् के पाठ के नियम और संयम

इस शक्तिशाली स्तोत्र का पूर्ण लाभ प्राप्त करने के लिए कुछ नियमों का पालन आवश्यक है:

नियम

  1. समय: इस स्तोत्र का पाठ करने का सर्वोत्तम समय रात्रि काल या संध्याकाल है, विशेष रूप से मंगलवार, शनिवार, और काल भैरव जयंती के दिन।
  2. दिशा: पाठ करते समय मुख दक्षिण दिशा की ओर रखें, क्योंकि यह भैरव जी की मुख्य दिशा मानी जाती है।
  3. आसन: लाल या काले रंग के आसन पर बैठकर पाठ करना चाहिए | कम्बल का आसन उत्तम फलदायी होता है।
  4. माला: यदि जाप कर रहे हैं, तो रुद्राक्ष की माला का उपयोग करें।

संयम

  • शुद्धता: पाठ करने से पूर्व स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • क्रोध त्याग: भैरव न्याय के देवता हैं। पाठ के दिनों में क्रोध, कटु वचन और किसी जीव को कष्ट देने से पूर्णतः बचें।
  • भोग: पाठ के बाद भगवान को भोग (जलेबी या मीठी रोटी) समर्पित करें और प्रसाद अवश्य ग्रहण करें।

4. Kaal Bhairav Ashtakam पाठ के अद्भुत लाभ

काल भैरवाष्टकम् का नियमित और श्रद्धापूर्वक पाठ जीवन के कई क्षेत्रों में चमत्कारिक परिणाम देता है:

भय और चिंता – सभी प्रकार के डर (मृत्यु का, असफलता का, अकेलेपन का) समाप्त होते हैं।

शत्रु बाधा – शत्रु शांत होते हैं और उनकी बुरी शक्तियाँ निष्फल हो जाती हैं।

स्वास्थ्य – रोग, पीड़ा और कष्टों से मुक्ति मिलती है।

वित्तीय स्थिरता – दरिद्रता, दुर्भाग्य और ऋण (कर्ज) का नाश होता है।

ज्ञान और मोक्ष – यह स्तोत्र अंत में ज्ञान और मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करता है।

निष्कर्ष: महाकाल की शरण में सुरक्षा

काल भैरवाष्टकम् केवल एक प्रार्थना नहीं है, यह एक कवच है। काल भैरव जयंती के पावन दिन से इसका नित्य पाठ आरंभ करना, जीवन में एक अभेद्य सुरक्षा कवच धारण करने के समान है। यह स्तोत्र हमें सिखाता है कि जो न्याय और धर्म के मार्ग पर चलता है, उसे काल (समय) और भय कभी पराजित नहीं कर सकते।

Kaal Bhairav Ashtakam – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

1️  काल भैरवाष्टकम् क्या है?

उत्तर:
यह काल भैरवाष्टकम् भगवान शिव के उग्र स्वरूप ‘काल भैरव’ की स्तुति में रचित स्तोत्र है। यह आदिशंकराचार्य द्वारा लिखा गया माना जाता है। इसमें आठ श्लोक हैं जो भय, बाधा, दुख और पापों को नष्ट करने वाले बताए गए हैं।

2️  काल भैरवाष्टकम् का पाठ कैसे किया जाता है?

उत्तर:
श्री काल भैरवाष्टकम् का पाठ करते समय लाल या काले आसन पर बैठें, दीपक जलाएँ, दक्षिण दिशा की ओर मुख करें और श्रद्धा से आठों श्लोक पढ़ें। पाठ के बाद भगवान को मीठा भोग (जैसे जलेबी) अर्पित करें।

3️  काल भैरवाष्टकम् पढ़ने का सही समय कौन सा है?

उत्तर:
सबसे शुभ समय—

  • संध्या काल (शाम)
  • रात्रि काल
  • मंगलवार
  • शनिवार
  • और विशेष रूप से काल भैरव जयंती

4️⃣ Kaal Bhairav Ashtakam पढ़ने के क्या लाभ होते हैं?

उत्तर:
— भय, चिंता और डर दूर होते हैं
— शत्रु बाधाएँ समाप्त होती हैं
— पाप कर्म नष्ट होते हैं
— दरिद्रता, कर्ज, दुर्भाग्य कम होता है
— बीमारी और कष्टों से राहत मिलती है
— ज्ञान, साहस और आत्मविश्वास बढ़ता है

5️  क्या काल भैरवाष्टकम् रोज पढ़ सकते हैं?

उत्तर:
हाँ, इसे प्रतिदिन पढ़ना अत्यंत शुभ माना गया है। नित्य पाठ करने वाले व्यक्ति को भय, कष्ट और बाधाओं से सुरक्षा प्राप्त होती है।

6️  काल भैरवाष्टकम् कितनी बार पढ़ना चाहिए?

उत्तर:
एक बार पूरा पढ़ना पर्याप्त है। यदि मन अशांत हो तो 3 बार, 11 बार या 108 बार जप करने से विशेष फल मिलता है।

7️  काल भैरवाष्टकम् किसने लिखा है?

उत्तर:
इस काल भैरवाष्टकम् का रचनाकार आदिशंकराचार्य को माना जाता है। उन्होंने यह स्तोत्र भगवान भैरव की महिमा का वर्णन करने हेतु रचा था।

8️  काल भैरवाष्टकम् का पाठ करते समय क्या नियम रखें?

उत्तर:

  • शरीर और मन की शुद्धता
  • किसी को कष्ट न देना
  • क्रोध और कटु वचन से बचना
  • शराब/मांसाहार से दूरी
  • भैरव जी को भोग अर्पित करना
  • तांबे या स्टील के दीपक का उपयोग
9️  काल भैरवाष्टकम् क्यों पढ़ा जाता है?

उत्तर:
इसे भय, बाधा, अशुभ ग्रह, दुर्भाग्य, कर्ज और जीवन की नकारात्मक शक्तियों से रक्षा हेतु पढ़ा जाता है। यह जीवन में स्थिरता, साहस और सफलता देता है।

🔟  काल भैरव कौन हैं और उनका क्या महत्व है?

उत्तर:
काल भैरव भगवान शिव का उग्र (संहारक) स्वरूप हैं। वे समय, मृत्यु, पाप और नकारात्मक शक्तियों के नियंत्रक हैं। काशी के कोतवाल (रक्षक) भी कहलाते हैं। उनकी पूजा से जीवन सुरक्षित और भयमुक्त होता है।

1️1️ काल भैरवाष्टकम् कब शुरू करना चाहिए?

उत्तर:
मार्गशीर्ष कृष्ण अष्टमी (काल भैरव जयंती) से नित्य पाठ आरंभ करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसके अलावा मंगलवार और शनिवार भी श्रेष्ठ दिन हैं।

1️⃣2️ Kaal Bhairav Ashtakam सुनने से भी लाभ मिलता है क्या?

उत्तर:
हाँ, यदि आप स्वयं पाठ न कर सकें तो इसे सुनना भी फलदायी है। परंतु मन को शांत रखकर ध्यानपूर्वक सुनना चाहिए। वैसे इसे पढ़ने से ज्यादा लाभ होता है |

1️3️ क्या महिलाएँ काल भैरवाष्टकम् पढ़ सकती हैं?

उत्तर:
हाँ, इसे पढ़ने पर किसी भी प्रकार का प्रतिबंध नहीं है। महिलाएँ श्रद्धा से किसी भी दिन इसका पाठ कर सकती हैं।

1️⃣4️ Kaal Bhairav Ashtakam के पाठ में कौन-सी माला का उपयोग करें?

उत्तर:
रुद्राक्ष की माला सर्वोत्तम मानी जाती है। इससे मन शांत रहता है और मंत्र का प्रभाव अनेक गुना बढ़ जाता है।

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