काल भैरव जयंती: पूजा विधि, कथा, महत्व और उपाय | Kal Bhairav Jayanti Puja Vidhi aur Katha
हर वर्ष मार्गशीर्ष (अगहन) मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान शिव का एक अत्यंत तेजस्वी और रौद्र स्वरूप पृथ्वी पर प्रकट हुआ था, जिन्हें ‘काल भैरव’ के नाम से जाना जाता है। यह दिन ‘Kal Bhairav Jayanti‘ (कालाष्टमी) के रूप में मनाया जाता है, जो भक्तों को समय, मृत्यु और भय—इन तीनों पर विजय प्राप्त करने का मार्ग दिखाता है।
यह पर्व केवल एक जन्मोत्सव नहीं है, बल्कि यह शिव की उस सर्वोच्च शक्ति का स्मरण है जो अहंकार का दमन करती है, न्याय स्थापित करती है और अपने भक्तों को हर संकट से सुरक्षित रखती है।
काल भैरव की उत्पत्ति: ब्रह्मा के अहंकार का दमन
काल भैरव के प्राकट्य की कथा सनातन धर्म के मूलभूत सिद्धांतों – अहंकार का नाश और न्याय की स्थापना – पर आधारित है।
1. सृष्टि का विवाद
एक बार देवताओं की सभा में यह प्रश्न उठा कि त्रिदेवों (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) में सबसे श्रेष्ठ कौन है। इस चर्चा में, सृष्टि के रचयिता माने जाने वाले ब्रह्मा जी अहंकार से भर गए। उन्होंने स्वयं को परम शक्तिमान घोषित करते हुए भगवान शिव के प्रति अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया। ब्रह्मा जी ने अपने पाँचवें मुख से शिव के स्वरूप और उनके गणों का मज़ाक उड़ाया।
2. शिव का क्रोध और प्राकट्य
भगवान शिव, जो परम शांत और विरक्त हैं, अपने अपमान पर क्रोधित हो उठे। उनका क्रोध इतना विराट और तीव्र था कि उनके भीतर से एक विकराल, अत्यंत काला, तेजस्वी और महाबली पुरुष का प्राकट्य हुआ। यह स्वरूप ही काल भैरव कहलाया।

उत्पन्न होते ही काल भैरव ने गरजते हुए ब्रह्मा जी से उनके अहंकार का कारण पूछा। जब ब्रह्मा जी ने अहंकारवश फिर भी अपनी बात दोहराई, तो काल भैरव ने तत्क्षण अपनी दाहिनी सबसे छोटी उंगली के नाखून से ब्रह्मा जी के उस मुख को काट डाला जिसने शिव का अपमान किया था। इस कृत्य के बाद ब्रह्मा जी के चार मुख ही शेष रह गए और उनका अहंकार खंडित हुआ।
3. ब्रह्महत्या और मुक्ति
ब्रह्मा का मस्तक काटने के कारण काल भैरव को ब्रह्महत्या का दोष लगा। दोष के कारण ब्रह्मा का वह मस्तक (कपाल) उनके हाथ से चिपक गया। शिव के आदेश पर, काल भैरव इस कपाल को धारण कर भिक्षावृत्ति करते हुए तीनों लोकों में भ्रमण करने लगे। उन्हें मुक्ति तभी मिल सकती थी जब वह किसी ऐसे स्थान पर पहुँचते, जहाँ शिव की शक्ति ही सर्वोच्च हो।
तीनों लोकों में भटकने के बाद, जब भैरव जी काशी (वाराणसी) पहुँचे, तब उनके हाथ से वह कपाल स्वयं ही छूटकर गिर गया और वे ब्रह्महत्या के दोष से मुक्त हो गए। जिस स्थान पर कपाल गिरा, वह ‘कपाल मोचन’ तीर्थ कहलाया।
शिव ने काशी की सुरक्षा का दायित्व काल भैरव को सौंपा और उन्हें ‘काशी का कोतवाल’ (संरक्षक) घोषित किया। यही कारण है कि काशी की यात्रा तब तक पूरी नहीं मानी जाती, जब तक कि काल भैरव के दर्शन न किए जाएं।
Kal Bhairav Jayanti की पूजा विधि और विधान
काल भैरव जयंती का दिन उनकी विशेष कृपा प्राप्त करने का सबसे बड़ा अवसर है। इनकी पूजा मुख्यतः रात्रि में की जाती है।
1. Kal Bhairav Jayanti की पूजन सामग्री
- आवश्यक वस्तुएं: काल भैरव की प्रतिमा/चित्र या शिवलिंग, काला तिल, उड़द की दाल, सरसों का तेल, सिंदूर, बिल्वपत्र, मदार के फूल, धतूरा, नींबू, नारियल।
- भोग (नैवेद्य): जलेबी, इमरती, पूड़ी, गुड़ के मीठे चावल, और मदिरा (तांत्रिक परंपराओं के अनुसार)। सात्विक पूजा करने वाले भक्त गुड़ या दही का भोग लगाते हैं।
- वस्त्र: काले या गहरे नीले रंग के वस्त्र अर्पित करना शुभ माना जाता है।
2. पूजा का क्रम
- व्रत और संकल्प: जयंती के दिन प्रातःकाल स्नान के बाद, ‘ॐ कालभैरवाय नमः’ का जाप करते हुए व्रत का संकल्प लें।
- स्नान और श्रृंगार: मंदिर में या घर के पूजा स्थल पर भैरव प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं। सिंदूर, तेल और इत्र का लेप करें।
- आह्वान: दीप (तिल के तेल का) जलाएं और विधिवत पुष्प, फल, और नैवेद्य अर्पित करें।
- मंत्र जाप: रुद्राक्ष की माला से ‘ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं’ या ‘ॐ कालभैरवाय नमः’ मंत्र का कम से कम 108 या 1008 बार जाप करें।
- आरती और स्तुति: श्रद्धापूर्वक काल भैरवाष्टकम् का पाठ करें। यह स्तोत्र भैरव जी को शीघ्र प्रसन्न करता है। अंत में कपूर या पंचमुखी दीपक से आरती करें।
- क्षमा याचना: जाने-अनजाने में हुई त्रुटियों के लिए क्षमा मांगें।
3. काले कुत्ते को भोजन कराना
यह काल भैरव पूजा का एक अनिवार्य अंग है। चूँकि काला कुत्ता उनका वाहन (सवारी) है, इसलिए इस दिन:
- किसी भी काले कुत्ते को प्रेम से मीठी रोटी, दूध, दही या पकौड़े खिलाएँ।
- मान्यता है कि कुत्ते को भोजन कराने से भैरव जी की कृपा तुरंत प्राप्त होती है और सभी शत्रु बाधाएं शांत होती हैं।
Kal Bhairav Jayanti के नियम और संयम: साधना में ध्यान देने योग्य बातें
काल भैरव की पूजा अत्यंत शक्तिशाली होती है, इसलिए कुछ नियमों का पालन आवश्यक है:
1. Kal Bhairav Jayanti, पूजा के दिन के नियम
- सात्विकता: यदि आप तांत्रिक साधना नहीं कर रहे हैं, तो पूरे दिन सात्विक आहार लें। तामसिक भोजन (मांस, मदिरा) और लहसुन-प्याज से दूर रहें।
- ब्रह्मचर्य: इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- क्रोध का त्याग: भैरव न्याय के देवता हैं, इसलिए किसी पर क्रोध न करें और वाणी में मधुरता रखें। किसी भी जीव को कष्ट न दें।
- जागरूकता: रात में भैरव जी का ध्यान करते हुए जागरण करना और मंत्र जाप करना विशेष फलदायी होता है।
2. वर्जित कार्य
- तुलसी और बेलपत्र: काल भैरव की पूजा में तुलसी दल का प्रयोग नहीं किया जाता है। हालाँकि, शिव के स्वरूप होने के कारण बेलपत्र अर्पित कर सकते हैं, लेकिन मुख्य रूप से मदार के फूल और काले वस्त्र ही चढ़ाए जाते हैं।
- सूर्यास्त के बाद यात्रा: यदि संभव हो तो सूर्यास्त के बाद लंबी यात्रा से बचें, क्योंकि यह रात की पूजा का समय होता है।
- अपमान: किसी भी बुजुर्ग, माता-पिता, या गुरुजन का अपमान न करें। भैरव जी अन्याय करने वालों को दण्डित करते हैं।
Kal Bhairav Jayanti का वैश्विक और आध्यात्मिक महत्व
काल भैरव केवल एक स्थानीय देवता नहीं हैं, बल्कि वे आध्यात्मिक रूप से हर मनुष्य के भीतर मौजूद ‘काल’ यानी समय और भय पर नियंत्रण की शक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- भय का नाश: भैरव शब्द का अर्थ है ‘भय को हरने वाला’। उनकी आराधना से सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि व्यक्ति जीवन के हर प्रकार के भय (मृत्यु का भय, असफलता का भय, शत्रु का भय) से मुक्त हो जाता है।
- समय का नियंत्रण: इन्हें ‘काल’ का नियंत्रक माना गया है। इनकी कृपा से व्यक्ति अपने समय का सदुपयोग करता है, जिससे कार्य समय पर पूर्ण होते हैं और जीवन में स्थिरता आती है।
- अष्ट भैरव: भगवान शिव के भैरव स्वरूप के आठ रूप हैं, जिन्हें अष्ट भैरव कहा जाता है। ये आठों दिशाओं और प्रकृति के विभिन्न तत्वों को नियंत्रित करते हैं। काल भैरव इन सभी में प्रमुख और मुख्य माने जाते हैं।
निष्कर्ष: न्याय और सुरक्षा का आश्वासन
काल भैरव जयंती का पर्व हमें यह संदेश देता है कि अहंकार का अंत निश्चित है और न्याय हमेशा स्थापित होता है। शिव का यह रौद्र स्वरूप अपने भक्तों के लिए उतना ही दयालु और रक्षक है, जितना कि वे दुष्टों के लिए दण्डकारी।
इस पावन अवसर पर सच्ची श्रद्धा और नियमों का पालन करते हुए काल भैरव की पूजा करने वाला भक्त जीवन के हर चक्र और संकट से सुरक्षित रहता है।
Kal Bhairav Jayanti पर भय मुक्ति और सफलता के 5 महाउपाय (निश्चित फलदायी)
काल भैरव जयंती का दिन गुप्त और तीव्र साधनाओं के लिए विशेष माना जाता है। इस दिन निम्नलिखित पाँच सरल और प्रभावी उपाय करने से भगवान काल भैरव की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है, और व्यक्ति शत्रु, रोग, और ऋण (कर्ज) के भय से मुक्त होता है:
1. कर्ज मुक्ति के लिए उड़द दाल का उपाय
यदि आप लंबे समय से कर्ज से परेशान हैं और मुक्ति नहीं मिल रही है, तो यह उपाय बहुत कारगर है:
- उपाय: काल भैरव जयंती की रात्रि में, सवा किलो उड़द की दाल के पकौड़े या वड़े (या दही-वड़ा) बना लें।
- विधि: इन पकौड़ों को एक पत्तल (या प्लेट) में रखें और भैरव मंदिर में जाकर भगवान को अर्पित करें। बाकी बचे हुए पकौड़ों को मंदिर के बाहर बैठे काले कुत्तों को खिला दें।
- लाभ: माना जाता है कि ऐसा करने से काल भैरव आपकी वित्तीय बाधाओं को शीघ्र दूर करते हैं और कर्ज मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
2. शत्रुओं और नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा
काल भैरव को दंडपाणि (न्याय के लिए दण्ड धारण करने वाला) भी कहा जाता है।
- उपाय: जयंती की रात एक नींबू लें। उसे अपने ऊपर से 21 बार (या 7 बार) उतारें।
- विधि: इस नींबू को चार बराबर टुकड़ों में काट लें और घर से दूर किसी चौराहे पर जाकर चारों दिशाओं में फेंक दें। पीछे मुड़कर न देखें और सीधे घर वापस आ जाएं।
- लाभ: यह क्रिया आपके आस-पास की सभी शत्रु बाधाओं, बुरी नज़र और नकारात्मक शक्तियों को काट देती है।
3. दुर्भाग्य और दरिद्रता दूर करने के लिए
दुर्भाग्य और दरिद्रता को दूर करने के लिए भैरव जी को दीप दान अवश्य करना चाहिए।
- उपाय: भैरव मंदिर में जाकर या घर में भैरव जी के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएँ।
- विधि: दीपक में काला तिल अवश्य डालें। इसके साथ ही, इस दिन मंदिर में गुग्गल की धूप जलाएँ।
- लाभ: गुग्गल की सुगंध वातावरण को शुद्ध करती है और भैरव जी को प्रिय है, जिससे घर की दरिद्रता दूर होती है और शुभता का वास होता है।
4. कार्य में सफलता और अटके हुए कार्य पूरे करने के लिए
यदि आपके कार्य लगातार अटक रहे हैं या किसी सरकारी बाधा के कारण रुक गए हैं, तो यह उपाय करें:
- उपाय: जयंती की शाम को भैरव जी को एक काले रंग का धागा (कलावा) अर्पित करें।
- विधि: अर्पित करने के बाद, इस धागे को अपनी दाहिनी कलाई या बाजू पर रक्षा सूत्र के रूप में बांध लें।
- लाभ: यह धागा एक सुरक्षा कवच की तरह कार्य करता है और अटके हुए कार्यों में सफलता दिलाता है।
5. काल भैरवाष्टकम् का विशेष पाठ
सभी तरह के भय और चिंता को दूर करने के लिए, ‘काल भैरवाष्टकम्’ का पाठ करें।
काल भैरवाष्टकम् के पाठ की विधि और महत्त्व जानने के लिए इस पर किलिक करें
- उपाय: जयंती की रात 10 बजे के बाद शांत स्थान पर बैठकर।
- विधि: भैरव जी का ध्यान करते हुए काल भैरवाष्टकम् का कम से कम 7 या 11 बार पाठ करें।
- लाभ: इस स्तोत्र का पाठ करने से साधक को मृत्यु का भय नहीं सताता और वह मानसिक रूप से स्थिर एवं शक्तिशाली बनता है।
❓ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ) -Kal Bhairav Jayanti
1. Kal Bhairav Jayanti कब मनाई जाती है?
उत्तर: काल भैरव जयंती हर वर्ष मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव के काल स्वरूप “काल भैरव” का प्राकट्य हुआ था।
2. काल भैरव जयंती का महत्व क्या है?
उत्तर: यह दिन भय, पाप और मृत्यु पर विजय का प्रतीक है। काल भैरव जी की आराधना से शत्रु, रोग और कर्ज जैसी बाधाएं दूर होती हैं।
3. काल भैरव की पूजा कैसे करें?
उत्तर: रात्रि में काले वस्त्र धारण कर, तेल का दीप जलाकर, “ॐ कालभैरवाय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें। काले कुत्ते को भोजन अवश्य कराएं।
4. काल भैरव जयंती पर क्या व्रत रखना चाहिए?
उत्तर: भक्त इस दिन सात्विक आहार लेकर ब्रह्मचर्य पालन करते हैं और दिनभर भैरव नाम का जप करते हुए रात्रि में जागरण करते हैं।
5. काल भैरव के प्रिय भोग कौन-कौन से हैं?
उत्तर: भैरव जी को जलेबी, इमरती, पूड़ी, गुड़ और दही प्रिय हैं। तांत्रिक परंपराओं में मदिरा भी अर्पित की जाती है, किंतु सात्विक पूजा में गुड़ व दही उत्तम माने जाते हैं।
6. काल भैरव जयंती पर काले कुत्ते को भोजन कराने का क्या महत्व है?
उत्तर: काला कुत्ता भैरव जी का वाहन है। उसे भोजन कराने से भैरव जी तुरंत प्रसन्न होते हैं और भक्त को शत्रु, भय और बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
7. Kal Bhairav Jayanti पर कौन से मंत्र का जाप करना चाहिए?
उत्तर: मुख्य मंत्र है —
“ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं”
इस मंत्र के जाप से संकट दूर होते हैं और मानसिक बल बढ़ता है।
8. काल भैरव की कथा क्या सिखाती है?
उत्तर: यह कथा बताती है कि अहंकार का नाश और न्याय की स्थापना सृष्टि के मूल सिद्धांत हैं। ब्रह्मा के अहंकार का दमन कर भैरव जी ने यही संदेश दिया।
9. Kal Bhairav Jayanti पर कौन-से कार्य वर्जित हैं?
उत्तर: इस दिन मांस, मदिरा, लहसुन-प्याज, असत्य वचन और अपमानजनक व्यवहार से बचना चाहिए। इनसे पूजा का फल घट जाता है।
10. काल भैरव जयंती पर कौन-से सरल उपाय करने चाहिए?
उत्तर:
1️⃣ उड़द दाल के पकौड़े मंदिर में अर्पित करें।
2️⃣ सरसों तेल का दीप जलाएं।
3️⃣ नींबू का टोटका करें।
4️⃣ काल भैरवाष्टकम् का पाठ करें।
इन उपायों से भय, कर्ज और शत्रु बाधा सब शांत होती हैं।
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