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Maa Brahmacharini Puja Vidhi

नवरात्रि दूसरा दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, मंत्र और महत्व

Maa Brahmacharini Puja Vidhi – नवरात्रि की पवित्र यात्रा का दूसरा दिन माँ दुर्गा के अत्यंत तेजस्वी और शांत स्वरूप माँ ब्रह्मचारिणी को समर्पित है। यदि नवरात्रि का पहला दिन माँ शैलपुत्री के पूजन से दृढ़ता और संकल्प की नींव रखता है, तो दूसरा दिन माँ ब्रह्मचारिणी की आराधना के माध्यम से उस नींव पर तपस्या, संयम और अनुशासन की इमारत खड़ी करता है।

कौन हैं माँ ब्रह्मचारिणी? नाम का रहस्य और उनकी कथा

‘ब्रह्म’ शब्द का अर्थ है ‘तप’ और ‘चारिणी’ का अर्थ है ‘आचरण करने वाली’। इस प्रकार, ब्रह्मचारिणी का शाब्दिक अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली। उनका यह नाम उनके जीवन की सबसे कठिन और प्रेरणादायक कहानी से जुड़ा है।

पौराणिक कथा के अनुसार, अपने पूर्व जन्म में जब वे सती के रूप में थीं, तो उन्होंने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। जब वे हिमालय के यहाँ पुत्री पार्वती के रूप में जन्मीं, तो उनका उद्देश्य भगवान शिव को फिर से पति के रूप में पाना था, क्योंकि शिव सती के आत्मदाह के बाद वैरागी हो गए थे।

Maa Brahmacharini Puja Vidhi
Maa Brahmacharini Puja Vidhi

माँ ब्रह्मचारिणी ने शिव को पाने के लिए हजारों वर्षों तक कठोर तपस्या की। उनकी तपस्या इतनी कठिन थी कि उन्होंने अपनी देह की कोई परवाह नहीं की।

  • पहले हजारों वर्षों तक उन्होंने केवल फल और फूल खाकर अपना जीवन बिताया।
  • अगले सैकड़ों वर्षों तक केवल बेलपत्र और जल का सेवन किया।
  • इसके बाद उन्होंने अन्न-जल का त्याग कर दिया और केवल वायु का सेवन करके तपस्या की। इस कारण उन्हें ‘अपर्णा’ (पर्ण – पत्ता, अपर्णा – जिसने पत्ता भी न खाया हो) भी कहा जाता है।

उनकी इस घोर तपस्या से तीनों लोक कांप उठे। सभी देवताओं ने उन्हें आशीर्वाद दिया और अंततः उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। माँ ब्रह्मचारिणी की यह कथा हमें बताती है कि सच्ची भक्ति और अटूट संकल्प से कुछ भी असंभव नहीं है।

Maa Brahmacharini Puja Vidhi और दिव्य स्वरूप

माँ ब्रह्मचारिणी का स्वरूप अत्यंत ही सादा और आध्यात्मिक ऊर्जा से भरा हुआ है। वे श्वेत वस्त्र धारण करती हैं और नंगे पैर चलती हैं, जो उनकी सादगी और वैराग्य का प्रतीक है। उनके हाथों में भी गहन प्रतीकात्मकता छिपी है:

  • कमंडल (बाएँ हाथ में): उनके बाएँ हाथ में कमंडल है, जो पवित्रता, सादगी और आत्म-नियंत्रण का प्रतीक है। यह हमें यह सिखाता है कि जीवन में भौतिक सुखों से ऊपर उठकर आत्मिक शुद्धि को महत्व देना चाहिए।
  • अक्षमाला या जापमाला (दाहिने हाथ में): उनके दाहिने हाथ में जापमाला है। यह जप और साधना की शक्ति को दर्शाती है। यह हमें बताती है कि मन को एकाग्र करने और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त करने का सबसे सरल और शक्तिशाली तरीका मंत्रों का जाप है।

नवरात्रि में माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा का विशेष महत्व

माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा हमें जीवन के उन मूल्यों को याद दिलाती है जो आज के समय में कहीं खोते जा रहे हैं।

  • आत्म-अनुशासन और संयम: उनकी पूजा हमें आत्म-नियंत्रण और अनुशासन का महत्व सिखाती है। वे यह संदेश देती हैं कि बिना अनुशासन के कोई भी लक्ष्य प्राप्त नहीं किया जा सकता, चाहे वह आध्यात्मिक हो या सांसारिक।
  • स्वाधिष्ठान चक्र का जागरण: योग शास्त्र के अनुसार, माँ ब्रह्मचारिणी का संबंध स्वाधिष्ठान चक्र से है। यह चक्र हमारी रीढ़ के निचले हिस्से में स्थित होता है और यह हमारी रचनात्मकता, भावनाओं और कल्पना का केंद्र है। इनकी पूजा से यह चक्र सक्रिय होता है, जिससे व्यक्ति के भीतर कलात्मक और रचनात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  • भक्ति की शक्ति: उनकी कथा और पूजा यह दर्शाती है कि सच्ची भक्ति और समर्पण से व्यक्ति भगवान को भी प्राप्त कर सकता है। यह हमें सिखाती है कि यदि हमारा इरादा पवित्र और संकल्प मजबूत हो, तो कोई भी बाधा हमें हमारे लक्ष्य से विचलित नहीं कर सकती।

Maa Brahmacharini Puja Vidhi और मंत्र: कैसे करें माँ की आराधना

नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा अत्यंत श्रद्धा और सादगी के साथ की जाती है।

  1. पूजा की तैयारी: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ पीले या सफेद वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
  2. संकल्प और पूजा: हाथ में जल और फूल लेकर माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा का संकल्प लें। उन्हें पीले या सफेद रंग के फूल (जैसे चमेली, गेंदा) अर्पित करें।
  3. भोग: माँ ब्रह्मचारिणी को चीनी या मिश्री का भोग लगाना अति शुभ माना जाता है। इससे व्यक्ति की आयु बढ़ती है और परिवार में खुशहाली आती है।
  4. मंत्र और आरती: उनकी पूजा में इस मंत्र का जाप करें:

माँ ब्रह्मचारिणी का बीज मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नमः 

ध्यान मंत्र:

दधाना करपद्माभ्यामक्षमाला कमण्डलु। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥

माँ ब्रह्मचारिणी का पूजा मंत्र

ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः”।

माँ ब्रह्मचारिणी का स्तुति मंत्र

या देवी सर्वभू‍तेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

निष्कर्ष

Maa Brahmacharini Puja Vidhi हमें यह सिखाती है कि जीवन की सभी सफलताओं का आधार तपस्या और अटूट संकल्प है। वे हमें यह संदेश देती हैं कि यदि हमारा मन और आत्मा शुद्ध हो, तो हम किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। नवरात्रि की इस यात्रा में, माँ ब्रह्मचारिणी हमें अनुशासन और संयम की शक्ति प्रदान करें, ताकि हम अपने जीवन के हर क्षेत्र में सफल हो सकें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

1. नवरात्रि में माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा कब की जाती है?
माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा नवरात्रि के दूसरे दिन, यानी द्वितीया तिथि को की जाती है। इस दिन प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर श्रद्धापूर्वक पूजा करनी चाहिए।

2. माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा में कौन-सा भोग सबसे शुभ है?
माँ ब्रह्मचारिणी को चीनी या मिश्री का भोग अति शुभ माना जाता है। इससे दीर्घायु और पारिवारिक सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

3. माँ ब्रह्मचारिणी के हाथों में कमंडल और जापमाला का क्या अर्थ है?
कमंडल आत्म-संयम और पवित्रता का प्रतीक है, जबकि जापमाला तप और साधना की शक्ति को दर्शाती है। यह हमें संयम और ध्यान का महत्व सिखाती है।

4. माँ ब्रह्मचारिणी का बीज मंत्र क्या है?
माँ का बीज मंत्र है – ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नमः। इस मंत्र का जाप साधक को आध्यात्मिक बल और मन की एकाग्रता प्रदान करता है।

5. माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा से क्या लाभ मिलता है?
इस पूजा से आत्म-अनुशासन, तपस्या और संकल्प की शक्ति मिलती है। साथ ही स्वाधिष्ठान चक्र सक्रिय होकर रचनात्मक ऊर्जा और भक्ति में वृद्धि होती है।

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