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Maa Mahagauri Puja Vidhi

नवरात्रि अष्टम दिवस माँ महागौरी पूजा विधि, कथा, मंत्र और महत्व

Maa Mahagauri Puja Vidhi – नवरात्रि की नौ दिवसीय आध्यात्मिक यात्रा का आठवाँ दिन माँ दुर्गा के अत्यंत करुणामयी और शांत स्वरूप माँ महागौरी को समर्पित है। यह दिन नवरात्रि का सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक है, जिसे ‘दुर्गा अष्टमी’ या ‘महा अष्टमी’ के नाम से भी जाना जाता है। जहाँ पहले के दिन हमें शक्ति, साहस और दृढ़ता प्रदान करते हैं, वहीं आठवाँ दिन हमें पवित्रता, शांति और आत्म-शुद्धि का संदेश देता है।

Maa Mahagauri Puja Vidhi, नाम का रहस्य और पौराणिक कथा

‘महागौरी’ नाम दो शब्दों से मिलकर बना है: ‘महा’ जिसका अर्थ है महान या बहुत अधिक, और ‘गौरी’ जिसका अर्थ है गोरा या पवित्र। इस प्रकार, महागौरी का शाब्दिक अर्थ हुआ ‘महान रूप से गोरा’ या ‘अत्यंत पवित्र’। यह नाम उनके जीवन की एक महत्वपूर्ण घटना से जुड़ा है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, अपने पूर्व जन्म में वे पार्वती थीं, जिन्होंने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। इस तपस्या के दौरान, उन्होंने अपनी देह की कोई परवाह नहीं की और अन्न-जल का भी त्याग कर दिया था। इस घोर तपस्या के कारण उनका शरीर धूल और मिट्टी से काला पड़ गया था।

जब भगवान शिव उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर प्रकट हुए, तो उन्होंने देवी पार्वती को गंगाजल से स्नान कराया। गंगा के पवित्र जल से स्नान के बाद, उनका वर्ण अत्यंत गोरा और चमकदार हो गया। तभी से उन्हें महागौरी के नाम से जाना जाने लगा। उनका यह स्वरूप हमें बताता है कि कठोर तपस्या और आत्म-शुद्धि से ही हम अपने जीवन को प्रकाशित और पवित्र बना सकते हैं।

maa mahagauri puja vidhi
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Maa Mahagauri Puja Vidhi और दिव्य स्वरूप

माँ महागौरी का स्वरूप अत्यंत ही शांत, सौम्य और मनमोहक है। वे प्रेम, शांति और ज्ञान का प्रतीक हैं।

  • रंग और रूप: उनका वर्ण चंद्रमा और शंख की तरह अत्यंत श्वेत और निर्मल है। वे श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, जो उनकी पवित्रता और सादगी को दर्शाता है।
  • चार हाथ: उनके चार हाथ हैं। उनका दाहिना हाथ अभय मुद्रा में है, जो भक्तों को हर तरह के भय से मुक्ति का आशीर्वाद देता है। उनके दाहिने हाथ की नीचे वाली मुद्रा त्रिशूल धारण किए है, जो बुराई का नाश करने का प्रतीक है।
  • डमरू और वरद मुद्रा: उनके बाएँ हाथ की ऊपर वाली मुद्रा में डमरू है, जो सृष्टि की लय और संगीत का प्रतीक है, और नीचे वाली मुद्रा वरद मुद्रा में है, जो भक्तों को वरदान देने के लिए तैयार है।
  • वृषभ (वाहन): उनका वाहन वृषभ यानी बैल है, जो उनकी अटूट शक्ति और धर्म के प्रति उनकी निष्ठा को दर्शाता है।

Maa Mahagauri Puja Vidhi, विशेष महत्व, आत्म-शुद्धि, सुख-शांति और सौभाग्य

नवरात्रि के आठवें दिन माँ महागौरी की पूजा का विशेष महत्व है, खासकर उन लोगों के लिए जो जीवन में सुख-शांति और सौभाग्य चाहते हैं।

  • पापों का नाश: यह माना जाता है कि माँ महागौरी की पूजा करने से भक्तों के सभी पूर्व जन्मों के और वर्तमान के पाप नष्ट हो जाते हैं। वे अपने भक्तों को एक शुद्ध और पवित्र जीवन जीने की शक्ति देती हैं।
  • सौभाग्य और समृद्धि: उनकी पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य आता है। वे पति-पत्नी के रिश्ते में प्रेम और सद्भाव बनाए रखती हैं, और अविवाहितों को सुयोग्य जीवनसाथी का आशीर्वाद देती हैं।
  • सद्बुद्धि और ज्ञान: माँ महागौरी की कृपा से भक्तों को सद्बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है। वे हमें सही और गलत के बीच का अंतर समझने की शक्ति देती हैं।
  • कंजेक (छोटी लड़कियों की पूजा): इस दिन छोटी लड़कियों की पूजा करने का विशेष महत्व है, जिन्हें देवी का स्वरूप माना जाता है। यह परंपरा देवी के मातृत्व और पवित्रता के स्वरूप को दर्शाती है।

Maa Mahagauri Puja Vidhi और मंत्र: कैसे करें माँ की आराधना

नवरात्रि के आठवें दिन माँ महागौरी की पूजा पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से की जाती है।

  1. पूजा की तैयारी: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
  2. संकल्प और पूजा: हाथ में जल और फूल लेकर पूजा का संकल्प लें। माँ महागौरी को सफेद या गुलाबी रंग के फूल और वस्त्र अर्पित करें।
  3. भोग: माँ को नारियल का भोग लगाना अति शुभ माना जाता है। इससे भक्तों के जीवन में खुशहाली और समृद्धि आती है।
  4. मंत्र और आरती: उनकी पूजा में इस मंत्र का जाप करें:

माँ महागौरी का बीज मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महागौर्ये नमः ||

ध्यान मंत्र:

श्वेते वृषेशमारुढा श्वेताम्बरधरा शुचिः। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा॥

स्तुति

सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते।

निष्कर्ष

माँ महागौरी की पूजा हमें यह सिखाती है कि जीवन में शांति और पवित्रता ही सबसे बड़ी शक्ति है। वे हमें यह संदेश देती हैं कि हमारे कर्म ही हमारे जीवन को प्रकाशित करते हैं। नवरात्रि की इस यात्रा में, माँ महागौरी हमें आत्म-शुद्धि, सुख-शांति और सौभाग्य का आशीर्वाद प्रदान करें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

1️⃣ नवरात्रि के अष्टम दिन माँ महागौरी की पूजा का सही समय क्या है?

माँ महागौरी की पूजा ब्रह्म मुहूर्त से लेकर नवरात्रि के दिनभर किसी भी शुभ समय में की जा सकती है। प्रातःकाल स्नान के बाद या संध्या समय दीप प्रज्वलित कर पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

2️⃣ माँ महागौरी की पूजा में कौन सा भोग सबसे शुभ है?

माँ महागौरी को नारियल, पान, सुपारी और सफेद रंग की मिठाई विशेष रूप से प्रिय है। नारियल का भोग लगाने से सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

3️⃣ महा अष्टमी पर कंजक (कुमारी) पूजन का महत्व क्या है?

महा अष्टमी पर छोटी कन्याओं की पूजा देवी के मातृ रूप का प्रतीक है। उन्हें देवी का अवतार मानकर सम्मान देने से पापों का नाश और जीवन में समृद्धि आती है।

4️⃣ माँ महागौरी की पूजा से कौन-से लाभ प्राप्त होते हैं?

इस दिन श्रद्धापूर्वक पूजा करने से पूर्व जन्मों के पापों का नाश, वैवाहिक सुख, सौभाग्य, आत्म-शुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है।

5️⃣ Maa Mahagauri Puja Vidhi में कौन से मंत्र का जाप करना चाहिए?

माँ महागौरी के बीज मंत्र “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महागौर्ये नमः ||” का जाप करना सर्वोत्तम है। इसके अलावा ध्यान मंत्र “श्वेते वृषेशमारुढा…” का भी पाठ शुभ फल देता है।

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