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Navratri Kalash sthapana vidhi

शारदीय नवरात्रि: कलश स्थापना की संपूर्ण विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व

Navratri Kalash sthapana vidhi – नवरात्रि का पर्व माँ दुर्गा के नौ रूपों की आराधना का महापर्व है। इन नौ दिनों के उत्सव का आरंभ होता है कलश स्थापना से, जिसे घट स्थापना भी कहा जाता है। यह अनुष्ठान न केवल माँ दुर्गा का आह्वान करता है, बल्कि यह हमारे घर में सुख, समृद्धि और सकारात्मकता लाता है।

इस कलश को भगवान गणेश का स्वरूप और ब्रह्मांड का प्रतीक माना जाता है। इस अनुष्ठान को सही विधि-विधान से करने पर ही इसका पूरा फल प्राप्त होता है।

कलश स्थापना का महत्व (Mahatva)

  • देवी का आह्वान: कलश को देवी का आसन माना जाता है। कलश स्थापना के माध्यम से ही माँ दुर्गा को नौ दिनों के लिए घर में विराजमान होने का निमंत्रण दिया जाता है।
  • शुभता और समृद्धि: यह घर में शुभता और सौभाग्य का प्रतीक है। मान्यता है कि कलश स्थापना से घर में सुख-शांति बनी रहती है।
  • ब्रह्मांड का प्रतीक: कलश को ब्रह्मांड का लघु स्वरूप माना जाता है। कलश में भरा हुआ जल जीवन का प्रतीक है, और उस पर रखे हुए पत्ते और नारियल सृष्टि की रचना को दर्शाते हैं।

Navratri Kalash sthapana vidhi और शुभ मुहूर्त

नवरात्रि का पहला दिन प्रतिपदा तिथि कलश स्थापना के लिए सबसे शुभ माना जाता है। इस दिन सूर्योदय के बाद से कुछ विशेष मुहूर्त होते हैं, जिनमें स्थापना करना सर्वोत्तम होता है।

Navratri Kalash sthapana vidhi
Navratri Kalash sthapana vidhi

शुभ मुहूर्त: 22 सितम्बर 2025 सोमवार को घटस्थापना मुहूर्त – 05:58  से 07:49 अवधि – 01 घण्टा 52 मिनट्स

घटस्थापना अभिजित मुहूर्त – 11:38 से 12:27 अवधि – 00 घण्टे 49 मिनट्स

  • ध्यान दें: राहुकाल और यमगंड काल में कलश स्थापना नहीं करनी चाहिए।
  • 22 सितम्बर को चौघडिया 05:59 ए एम से 07:30 ए एम तक अमृत – सर्वोत्तम

कलश स्थापना के लिए आवश्यक सामग्री

यह सूची आपको सभी सामग्री इकट्ठा करने में मदद करेगी ताकि अनुष्ठान में कोई बाधा न आए।

  1. घट (कलश) के लिए: मिट्टी का एक साफ घड़ा या कलश, गंगाजल, साफ जल, हल्दी, सिक्का, सुपारी, सर्वोषधि, सप्तमृतिका, पंचरत्न।
  2. स्थापना के लिए: मिट्टी का एक चौड़ा बर्तन, जटा वाला नारियल, आम या अशोक के पत्ते, लाल या पीला कपड़ा, मौली (लाल धागा), और जौ (जवारे बोने के लिए)।
  3. अन्य सामग्री: रोली, कुमकुम, अक्षत (चावल), धूप, दीपक, अगरबत्ती, फूल और मालाएँ।

कलश स्थापना की संपूर्ण विधि (Step-by-Step Pooja Vidhi)

Navratri Kalash sthapana vidhi को निम्नलिखित चरणों में आसानी से पूरा किया जा सकता है:

चरण 1: जौ बोने की तैयारी

  • सबसे पहले, एक चौड़े मुँह वाले मिट्टी के बर्तन को साफ करें।
  • इस बर्तन में मिट्टी की एक परत बिछाएँ और उसमें जौ के दाने समान रूप से फैला दें।
  • इसके ऊपर मिट्टी की एक और परत डालकर थोड़ा पानी छिड़क दें।
  • इस बर्तन को पूजा स्थल पर रखें।

2: कलश को तैयार करना

  • कलश को साफ पानी और गंगाजल से धोकर पवित्र करें।
  • अब कलश में गंगाजल और शुद्ध जल मिलाकर भरें।
  • कलश में ऊपर बताई गई सामग्री डालें।
  • कलश के मुख पर आम या अशोक के पत्ते लगाएँ। ध्यान रखें कि पत्ते कलश के मुख से बाहर की ओर निकले हों।

3: नारियल तैयार करना

  • एक जटा वाले नारियल को साफ करें।
  • नारियल को लाल कपड़े में लपेट दें और मौली (लाल धागे) से बांध दें।
  • नारियल पर कुमकुम से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएँ।

4: कलश स्थापना – Navratri Kalash sthapana vidhi

  • तैयार किए गए कलश को जौ वाले बर्तन के ठीक बीच में रखें।
  • अब नारियल को आम के पत्तों के ऊपर इस तरह रखें कि उसका मुख ऊपर की ओर हो।
  • कलश के मुख पर थोड़ी हल्दी और कुमकुम लगाएं।

5: पूजा और मंत्र

  • कलश के सामने एक दीपक जलाएँ।
  • हाथ जोड़कर माँ दुर्गा का ध्यान करें और कलश को नमन करें।
  • आप ‘ॐ दुं दुर्गायै नमः’ मंत्र का जाप कर सकते हैं। या देवी जी के नवार्ण मन्त्र (ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चै) का जाप करना चाहिए |
  • अब माँ दुर्गा से प्रार्थना करें कि वे नौ दिनों के लिए इस कलश में विराजमान हों और अपनी कृपा बनाए रखें।
  • यदि संभव हो तो आप किसी ब्राम्हण के द्वारा कलश स्थापना करा सकते हैं |

6: पूजा का समापन

  • नौ दिनों तक सुबह-शाम कलश की पूजा करें।
  • जौ में नियमित रूप से पानी डालें, ताकि वे बढ़ें।
  • दशमी के दिन, (कहीं-कहीं नवमी के दिन) पूजा करने के बाद कलश के जल को पूरे घर में छिड़कें और नारियल को अपने घर के ईशान कोण में बांध दें |

निष्कर्ष

कलश स्थापना केवल एक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह एक गहरी आस्था का प्रतीक है। यह हमें प्रकृति से जोड़ता है और जीवन में एक नई शुरुआत का संदेश देता है। सही विधि-विधान से की गई कलश स्थापना आपके और आपके परिवार के लिए सुख, शांति और समृद्धि लाएगी।

अकसर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

1 – कलश स्थापना किस दिन और समय करनी चाहिए?

कलश स्थापना नवरात्रि के पहले दिन प्रतिपदा तिथि को की जाती है। इस दिन का शुभ मुहूर्त देखकर ही स्थापना करनी चाहिए, जो आमतौर पर सूर्योदय के बाद होता है।

2 –  कलश स्थापना में कौन सा अनाज बोना शुभ होता है?

कलश स्थापना के नीचे जौ (जवारे) बोना सबसे शुभ माना जाता है। जौ को सृष्टि का पहला अनाज माना जाता है, जो समृद्धि और अन्नपूर्णा का प्रतीक है।

3 – कलश स्थापना में नारियल किस दिशा में रखना चाहिए?

नारियल को कलश के ऊपर इस तरह रखा जाता है कि उसका मुख (जिस तरफ तीन आँखें होती हैं) पूजा करने वाले की ओर हो। यह शुभ माना जाता है।

4 – नवरात्रि के बाद कलश के जल और नारियल का क्या करना चाहिए?

नवरात्रि के समापन के बाद, कलश के जल को पूरे घर में छिड़कना चाहिए ताकि सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो। नारियल को अपने घर के ईशान कोण में बांध देना चाहिए |

5 – क्या कलश स्थापना के लिए मिट्टी का कलश ही जरूरी है?

हाँ, कलश स्थापना के लिए मिट्टी का कलश सबसे उत्तम माना जाता है, क्योंकि यह प्रकृति से जुड़ा है और पृथ्वी तत्व का प्रतिनिधित्व करता है। हालांकि, यदि मिट्टी का कलश उपलब्ध न हो तो पीतल या तांबे के कलश का भी उपयोग किया जा सकता है।

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