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putrada ekadashi vrat Katha

Putrada Ekadashi Vrat

पुत्रदा एकादशी व्रत कथा: पुत्र प्राप्ति का सरल उपाय

Putrada Ekadashi Vrat Katha – पौष शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। व्रत के दिन प्रातःकाल उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लें। फिर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें। पूजा में भगवान विष्णु को तुलसी, चंदन, अक्षत, फूल, धूप, दीप आदि अर्पित करें। माता लक्ष्मी को लाल वस्त्र, श्रृंगार का सामान, मिठाई आदि अर्पित करें।

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आइये जानते हैं पद्मपुराण अंतर्गत भगवान श्रीकृष्ण जी ने राजा युधिष्ठिर को जो कथा सुनाई थी उसका विवरण नीचे दिया गया है |
पुत्रदा एकादशी व्रत कथा
युधिष्ठिर अब हम आपको पौषशुक्ल पक्ष में जो एकादशी आती है, उसे पुत्रदा एकादशी कहता हैं | यह सब पापों को हरने वाली उत्तम तिथि है | समस्त कामनाओं तथा सिद्धियों के दाता भगवान नारायण इस तिथि के आदि देवता है | प्राणियों सहित समस्त त्रिलोकी में इससे बढ़कर दूसरी कोई तिथि नहीं है | पूर्व काल की बात है भद्रावती पुरी में राजा सुकेतुमान राज्य करते थे, उनकी रानी का नाम चंपा था | राजा को बहुत समय तक कोई वंशधर पुत्र प्राप्त नहीं हुआ, इसलिए दोनों पति-पत्नी सदा चिंता और दूख में डूबे रहते थे | राजा के पितर उनके दिए हुए जल को शोकोच्छवास से गर्म करके पीते थे | राजा के बाद और कोई ऐसा नहीं दिखाई देता था जो हम लोगों का तर्पण करेगा यह सोच सोचकर पितर दुखी रहते थे |

सफला एकादशी व्रत: सफलता का मार्ग  (Putrada Ekadashi Vrat )

 

एक दिन राजा घोड़े पर सवार हो गहन वन में चले गए, पुरोहित आदि किसी को भी इस बात का पता ना था | मृग और पक्षियों से सेवित उस सघन कानन में राजा भ्रमण करने लगे | मार्ग में कहीं सियार की बोली सुनाई पड़ती थी तो कहीं उल्लुओं की | जहां-तहां रीछ और मृग दृष्टिगोचर हो रहे थे | इस प्रकार घूम-घूम का राजा बन की शोभा देख रहे थे, इतने में दोपहर हो गया | राजा को भूख और प्यास सताने लगी वे जल की खोज में इधर-उधर दौड़ने लगे | किसी पूण्य के प्रभाव से उन्हें एक उत्तम सरोवर दिखाई दिया | जिसके समीप मुनियों के बहुत से आश्रम थे, शोभाशाली नरेश ने उन आश्रमों की ओर देखा |

उस समय शुभ की सूचना देने वाले शकुन होने लगे, और राजा का दाहिना नेत्र और दाहिना हाँथ फड़कने लगा, जो उत्तम फल की सूचना दे रहा था | सरोवर के तट पर बहुत से मुनि वेद पाठ कर रहे थे | उन्हें देखकर राजा को बड़ा हर्ष हुआ | घोड़े से उतरकर मुनियों के सामने खड़े हो गए और पृथक पृथक उन सब की वंदना करने लगे | वे मुनि उत्तम व्रत का पालन करने वाले थे | जब राजा ने हाथ जोड़कर बारंबार दंडवत किया, तब मुनि बोले – राजन ! हम लोग तुम पर प्रसन्न हैं |
राजा बोले – आप लोग कौन हैं ? आपका नाम क्या है, तथा आप लोग किसलिए यहाँ एकत्रित हुए हैं | यह सब सच-सच बताइए |
मुनि बोले – राजन ! हम लोग विश्वदेव हैं, यहां स्नान के लिए आए हैं | माघ निकट आया है आज से पांचवें दिन माघ का स्नान आरंभ हो जाएगा | आज ही “पुत्रदा” नाम की एकादशी है, जो व्रत करने वाले मनुष्य को पुत्र देती है |

मंगला गौरी व्रत 

राजा ने कहा – विश्वदेवगण ! यदि आप लोग प्रसन्न है तो मुझे पुत्र दीजिए |
मुनि बोले – राजन ! आज के ही दिन पुत्रदा नाम की एकादशी है | यह Putrada Ekadashi Vrat  बहुत विख्यात है, तुम आज इस उत्तम व्रत का पालन करो | महाराज – भगवान केशव के प्रसाद से तुम्हें अवश्य पुत्र होगा |
भगवान श्री कृष्ण कहते हैं – युधिष्ठिर इस प्रकार उन मुनियों के कहने से राजा ने उत्तम व्रत का पालन किया | महर्षियों के उपदेश के अनुसार विधिपूर्वक पुत्रदा एकादशी का अनुष्ठान किया | फिर द्वादशी को पारण करके मुनियों के चरणों में बारंबार मस्तक झुका कर राजा अपने घर आए | तदनंतर रानी ने गर्भधारण किया | प्रसव काल आने पर पुण्यकर्मा राजा को तेजस्वी पुत्र प्राप्त हुआ | जिसने अपने गुणों से अपने पिता को संतुष्ट कर दिया | वह प्रजाओं का पालक हुआ | इसलिए राजन ! पुत्रदा एकादशी का उत्तम व्रत अवश्य करना चाहिए | मैंने लोगों के हित के लिए तुम्हारे सामने इसका वर्णन किया है | जो मनुष्य एकाग्रचित होकर पुत्रदा एकादशी का व्रत करते हैं, वे इस लोक में पुत्र पाकर मृत्यु के पश्चात स्वर्गगामी होते हैं | इसमें महात्म को पढ़ने और सुनने से अग्निष्टोम यज्ञ का फल मिलता है |

पुत्रदा एकादशी व्रत के लाभ :- Putrada Ekadashi Vrat

संतान प्राप्ति: Putrada Ekadashi Vrat को संतान प्राप्ति के लिए सबसे प्रभावकारी माना जाता है। इस व्रत को करने से निसंतान दंपत्ति को संतान प्राप्ति होती है।
पापों से मुक्ति: पुत्रदा एकादशी व्रत को करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इस व्रत को करने से व्रती को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
धन, समृद्धि और सुख-समृद्धि की प्राप्ति: पुत्रदा एकादशी व्रत को करने से धन, समृद्धि और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने से व्रती का जीवन सुखमय और समृद्ध बनता है।
आरोग्य लाभ: पुत्रदा एकादशी व्रत को करने से स्वास्थ्य लाभ होता है। इस व्रत को करने से व्रती का शरीर स्वस्थ और निरोगी रहता है।

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