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sankat mochan hanuman ashtak,संकट मोचन हनुमान अष्टक

संकट मोचन हनुमान अष्टक पाठ

sankat mochan hanuman ashtak, श्री पवन पुत्र हनुमान जी का नाम ही संकटमोचन है | त्रेता से द्वापर तक जब भी देवताओं पर कष्ट पड़ा है तब-तब हनुमान जी ने सभी देवताओं के संकटों को दूर किया है | इस संकट मोचन हनुमान अष्टक में हनुमान जी की शक्तियों का गुणगान किया जाता है |

शास्त्रों की माने तो हनुमान जी वाल्याकल में बहुत ही नटखट होने के कारण अपनी जाती गुण अनुसार उत्पात किया करते थे | श्री हनुमान जी अपरमित बलशाली तो थे ही, साथ में अनेक देवताओं से वरदान प्राप्त थे | उस बल के प्रभाव से ऋषि मुनियों को सताया करते थे | एक दिन एक ऋषि ने उनको हनुमान जी को श्राप दे दिया | की तुम अपने अपरमित बल को सदा भूले रहोगे, किन्तु जब कोई तुम्हे तुम्हारे बल को याद दिलाएगा तब तुम्हें अपना बल याद आ जायेगा |

इस प्रकार समुद्र के इस पार खड़े सभी वानर उस पार जाने में असमर्थता जताते हैं | उसी समय जामबंत आदि सभी मिलकर हनुमान जी को उनका बल याद दिलाते हैं | और बल याद आने पर हनुमान जी श्री राम जी के काज सवारते हैं | और बानर जाती का मान बढ़ाते हैं |

इसी प्रकार हम जीवों पर आये हुए संकट पर विजय प्राप्त करने के लिए इस संकट मोचन हनुमान अष्टक से उनके बल को जाग्रत करते हैं | और प्रार्थना करते हैं कि, प्रभो हम जीवों पर आये संकट से आप ही उबार सकते हैं |   

प्रयोग (sankat mochan hanuman ashtak)

वैसे तो संकट मोचन हनुमान अष्टक के अनेक प्रयोग मिलते है, लेकिन यदि इस प्रयोग को हम सिर्फ अपने संकटों की मुक्ति के लिए ही उपयोग में लाये तो बहुत अच्छा है |

उदारण के लिए इस प्रयोग से आप अपने शत्रुओं को घोर संकट में डाल सकते हैं | लेकिन हमें ऐसा नहीं करना चाहिये, क्योंकि बुरे कार्य का फल बुरा ही होता है | इसलिए इसे हम अपनी सुरक्षा के लिए ही उपयोग में लायें तो बहुत ही अच्छा रहेगा | अपने शारीरिक या पारिवारिक संकट के समाधान के लिये निम्न प्रकार से प्रयोग करना चाहिए |

यदि आपको अनायास ही शत्रु परेशान कर रहे हैं, और आप निर्दोष हैं तो यह प्रयोग करें | एक तांवे का लोटा लें, उसमे आधे में मसूर दाल और आधे में गुड भरकर लाल वस्त्र से बाँध दें | तत्पश्चात किसी हनुमान मंदिर में जाकर उस लोटे को रखें और प्रार्थना करें कि प्रभो जो हमारे शत्रु हमें परेशान कर रहे हैं उन्हें शांत कीजिये | इस प्रकार प्रार्थना कर लोटे को वहीँ छोड़ दें, और “ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकायम हुम् फट” मन्त्र का सम्पुट लगाकर संकट मोचन हनुमान अष्टक का पाठ करें |

ध्यान रखें यह प्रयोग मंगलवार से आरम्भ करना है | दुसरे दिन से लोटा नहीं रखना है, सिर्फ उपरोक्त मन्त्र का सम्पुट लगाकर संकट मोचन हनुमान अष्टक का पाठ करना है | इस पाठ के प्रभाव से बहुत ही जल्द आपके शत्रु आपसे शत्रुता समाप्त कर या तो मित्रता कर लेगें या आपको परेशान करना बंद कर देगें |

इसमे एक विशेषता है कि जब तक आप इस प्रयोग को करते है | आपको हनुमान जी वाले नियमों का पालन करना अनिवार्य है | संभव हो तो एक बार आहार करें और वो भी बिना नमक के ले तो ज्यादा अचछा रहेगा |    

हनुमान अष्टक का हेतु

इस संकट मोचन हनुमान अष्टक में हनुमान जी द्वारा किये गये पराक्रम का वर्णन है | उनके पराक्रम का वर्णन उन्हें ही सुनकर उनके भूले हुए बल को याद  दिलाना होता है | जिससे आपके कार्य शीघ्र ही संपन्न हो जाएँ |  

संकट मोचन हनुमान अष्टक               

बाल समय रबि भक्षि लियो तब तीनहुँ लोक भयो अँधियारो ।

ताहि सों त्रास भयो जग को यह संकट काहु सों जात न टारो ।

देवन आनि करी बिनती तब छाँड़ि दियो रवि कष्ट निवारो ।

को नहिं जानत है जगमें कपि संकटमोचन नाम तिहारो ॥ १ ॥

बालि की त्रास कपीस बसै गिरि जात महाप्रभु पंथ निहारो ।

चौंकि महा मुनि शाप दियो तब चाहिय कौन बिचार बिचारो ।

कै द्विज रूप लिवाय महाप्रभु सो तुम दास के शोक निवारो  ।

को नहिं जानत है जगमें कपि संकटमोचन नाम तिहारो ॥ २ ॥

अंगद के सँग लेन गये सिय खोज कपीस यह बैन उचारो ।

जीवत ना बचिहौ हम सो जु बिना सुधि लाए इहाँ पगु धारो ।

हेरि थके तट सिंधु सबै तब लाय सिया सुधि प्रान उबारो ।

को नहिं जानत है जगमें कपि संकटमोचन नाम तिहारो ॥ ३ ॥

रावन त्रास दई सिय को सब राक्षसि सों कहि शोक निवारो ।

ताहि समय हनुमान महाप्रभु जाय महा रजनीचर मारो ।

चाहत सीय अशोक सों आगि सु दै प्रभु मुद्रिका शोक निवारो ।

को नहिं जानत है जगमें कपि संकटमोचन नाम तिहारो ॥ ४ ॥

बान लग्यो उर लछिमन के तब प्रान तजे सुत रावन मारो ।

लै गृह बैद्य सुषेन समेत तबै गिरि द्रोन सु बीर उपारो ।

आनि सजीवन हाथ दई तब लछिमन के तुम प्रान उबारो ।

को नहिं जानत है जगमें कपि संकटमोचन नाम तिहारो ॥ ५ ॥

श्री तुलसीदास कृत हनुमान बाहुक

रावन जुद्ध अजान कियो तब नाग कि फाँस सबै सिर डारो ।

श्रीरघुनाथ समेत सबै दल मोह भयो यह संकट भारो ।

आनि खगेस तबै हनुमान जु बंधन काटि सुत्रास निवारो ।

को नहिं जानत है जगमें कपि संकटमोचन नाम तिहारो ॥ ६ ॥

बंधु समेत जबै अहिरावन लै रघुनाथ पताल सिधारो ।

देबिहिं पूजि भली बिधि सों बलि देउ सबै मिलि मंत्र बिचारो ।

जाय सहाय भयो तब ही अहिरावन सैन्य समेत सँहारो ।

को नहिं जानत है जगमें कपि संकटमोचन नाम तिहारो ॥ ७ ॥

काज किये बड़ देवन के तुम बीर महाप्रभु देखि बिचारो ।

कौन सो संकट मोर गरीब को जो तुमसों नहिं जात है टारो ।

बेगि हरो हनुमान महाप्रभु जो कछु संकट होय हमारो ।

को नहिं जानत है जगमें कपि संकटमोचन नाम तिहारो ॥ ८ ॥

दोहा

लाल देह लाली लसे अरू धरि लाल लँगूर ।

बज्र देह दानव दलन जय जय जय कपि सूर ॥

इति गोस्वामि तुलसीदास कृत संकट मोचन हनुमानाष्टक सम्पूर्ण

sankat mochan hanuman ashtak, हनुमान जी अनेक प्रयोग वर्णित हैं | लेकिन में पुनः यही कहूँगा कि इस प्रयोग को आप सिर्फ अपने और अपने परिजनों के संकट की मुक्ति के लिए ही उपयोग में लायें |

यदि कोई व्यक्ति हनुमान जयंती से आरम्भ कर एक वर्ष तक नियमित एक या एक से अधिक पाठ संकट मोचन हनुमान अष्टक का पाठ करता है | तो उस व्यक्ति के जीवन में कभी कोई संकट आ ही नहीं सकता | श्री पवन पुत्र हनुमान जी उस व्यक्ति की रक्षा एक नन्हें पुत्र की भांति करते हैं |

श्री संकट मोचन हनुमान अष्टक के पाठ से अपनी शक्ति को बढ़ाएं और इसे सत्कर्म में लगायें          प्रेम से बोलो जय श्रीराम  

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Pandit Rajkumar Dubey

Pandit Rajkumar Dubey

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