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Parshuram Jayanti

परशुराम जयंती: भगवान परशुराम का अवतार और उनका महत्व

 

Parshuram Jayanti, जिसे अक्षय तृतीया के नाम से भी जाना जाता है, हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इस दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार, भगवान परशुराम के जन्मदिन का उत्सव मनाया जाता है।

भगवान परशुराम का अवतार:

भगवान परशुराम का जन्म सप्त ऋषियों में से एक, महर्षि जमदग्नि और उनकी पत्नी रेणुका के घर हुआ था। भगवान परशुराम को अत्यंत शक्तिशाली और क्रोधित योद्धा माना जाता है। उनका नाम परशु (कुल्हाड़ी) और राम (भगवान राम) से मिलकर बना है।

Parshuram Jayanti
Parshuram Jayanti

परशुराम जयंती का महत्व: Parshuram Jayanti 

परशुराम जयंती का महत्व निम्नलिखित है:

  • अधर्म का नाश: भगवान परशुराम का जन्म अधर्म का नाश करने और धर्म की स्थापना करने के लिए हुआ था। उन्होंने 21 बार पृथ्वी पर आकर क्षत्रियों का संहार किया।
  • ब्राह्मणों की रक्षा: भगवान परशुराम को ब्राह्मणों का रक्षक माना जाता है। उन्होंने सदैव ब्राह्मणों की रक्षा की और उनका सम्मान किया।

शिक्षा का महत्व: भगवान परशुराम ज्ञान और शिक्षा के प्रबल समर्थक थे। उन्होंने अपने जीवन में अनेक शास्त्रों का अध्ययन किया और ऋषियों से शिक्षा प्राप्त की। वे न केवल एक महान योद्धा थे, बल्कि वे एक कुशल शिक्षक भी थे जिन्होंने अनेक शिष्यों को शिक्षा प्रदान की।

भगवान परशुराम का जीवन शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डालता है। वे हमें सिखाते हैं कि:

  • ज्ञान शक्ति है: शिक्षा हमें ज्ञान प्रदान करती है, जो जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए आवश्यक है।
  • शिक्षा सभी के लिए है: जाति, लिंग या सामाजिक स्थिति की परवाह किए बिना सभी को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है।
  • शिक्षा सदाचार सिखाती है: शिक्षा हमें सदाचार और अच्छे मूल्यों का पालन करना सिखाती है।
  • शिक्षा से समाज का विकास होता है: शिक्षित समाज ही एक प्रगतिशील और समृद्ध समाज बन सकता है।

भगवान परशुराम के शिष्य और शिक्षा:

 

भगवान परशुराम ने अपने शिष्यों को धनुष-बाण चलाना युद्ध कला, शास्त्रों का ज्ञान और जीवन जीने की नीतियां सिखाईं। उनके प्रसिद्ध शिष्यों में भीष्म पितामह,  द्रोणाचार्य और करण शामिल हैं।

अनुशासन और कर्मठता: भगवान परशुराम अनुशासन और कर्मठता के प्रतीक हैं। उन्होंने अपने जीवन में सदैव कर्मठता और अनुशासन का पालन करते हुए सत्य और न्याय की स्थापना के लिए अनेक कार्य किए।

उनके जीवन से हमें अनेक प्रेरणा मिलती हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख इस प्रकार हैं:

  • लक्ष्य के प्रति समर्पण: भगवान परशुराम ने अपने जीवन में सदैव एक निश्चित लक्ष्य निर्धारित किया और उसे प्राप्त करने के लिए कठोर परिश्रम और लगन से काम किया।
  • अनुशासन का पालन: उन्होंने अपने जीवन में सदैव अनुशासन का पालन किया और समय का सदुपयोग करते हुए हर कार्य को पूर्ण किया।
  • कर्मठता: वे अत्यंत कर्मठ थे और सदैव कर्म करते रहते थे। उनका मानना था कि कर्म से ही सफलता प्राप्त होती है।
  • न्यायप्रियता: वे सदैव सत्य और न्याय के मार्ग पर चलते थे और अन्याय के खिलाफ डटकर खड़े रहते थे।
  • वीरता और साहस: भगवान परशुराम वीरता और साहस के प्रतीक हैं। उन्होंने अपने जीवन में अनेक वीरतापूर्ण कार्य किए।

परशुराम जयंती कैसे मनाएं: Parshuram Jayanti 

 

परशुराम जयंती के दिन लोग निम्नलिखित कार्य करते हैं:

  • भगवान परशुराम की पूजा: लोग अपने घरों में भगवान परशुराम की पूजा करते हैं।
  • दान-पुण्य: दान-पुण्य करना इस दिन का एक महत्वपूर्ण कार्य माना जाता है।
  • अक्षय तृतीया: अक्षय तृतीया के दिन स्नान करना और दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। कहते है आज के दिन किया गया दान अक्षय होता है |
  • सामाजिक कार्य: कुछ लोग इस दिन सामाजिक कार्य भी करते हैं, जैसे कि गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करना।

परशुराम जयंती का संदेश: Parshuram Jayanti 

परशुराम जयंती हमें अधर्म का नाश करने, धर्म की स्थापना करने, ब्राह्मणों का सम्मान करने, शिक्षा का महत्व समझने, अनुशासन और कर्मठता का पालन करने, वीरता और साहस का प्रदर्शन करने की प्रेरणा देती है।

निष्कर्ष:

परशुराम जयंती भगवान परशुराम के जीवन और उनके कार्यों का स्मरण करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह हमें सिखाता है कि हमें अन्याय के खिलाफ खड़े होने, जरूरतमंदों की मदद करने और धर्म का पालन करने के लिए हमेशा तत्पर रहना चाहिए।

अक्षय तृतीया पर दान करने के लिए कुछ सुझाव:

 

  • अन्न और भोजन: गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, अनाज, दाल, चावल, घी, नमक, चीनी आदि दान करना शुभ माना जाता है।
  • वस्त्र और कपड़े: गरीबों और जरूरतमंदों को वस्त्र, कंबल, चादर आदि दान करना भी पुण्यकारी माना जाता है।
  • सोना और चांदी: सोना और चांदी का दान करना भी अक्षय तृतीया पर शुभ माना जाता है। आप दान स्वरूप सोने-चांदी के सिक्के, आभूषण या बर्तन दान कर सकते हैं।
  • शास्त्र और ग्रंथ: यदि आप धार्मिक व्यक्ति हैं तो आप वेद, पुराण, गीता, रामायण आदि धार्मिक ग्रंथों का दान भी कर सकते हैं।
  • गाय और गोशाला: गाय को दान करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। आप गाय दान कर सकते हैं या फिर गोशाला में चारा, दान आदि दे सकते हैं।
  • पौधे और वृक्ष: पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए आप अक्षय तृतीया पर पौधे और वृक्ष भी दान कर सकते हैं।

क्या अक्षय तृतीया पर सोना खरीदना शुभ होता है?

हाँ, अक्षय तृतीया पर सोना खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन सोने की खरीदारी करने से कई लाभ प्राप्त होते हैं।

अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने के कुछ प्रमुख कारण: Parshuram Jayanti 

 

  • धार्मिक महत्व: अक्षय तृतीया को भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम का जन्मदिन माना जाता है। इस दिन सोना खरीदना भगवान परशुराम को प्रसन्न करने का एक उत्तम तरीका माना जाता है।
  • लक्ष्मी का आशीर्वाद: सोना देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने से देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और धन-धान्य की वृद्धि होती है।
  • शुभ मुहूर्त: अक्षय तृतीया को स्वयं सिद्ध मुहूर्त माना जाता है। इस दिन किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए पंचांग देखने की आवश्यकता नहीं होती है।
  • निवेश: सोना सदैव से एक उत्तम निवेश माना जाता है। अक्षय तृतीया पर सोना खरीदना भविष्य के लिए एक अच्छा निवेश हो सकता है।
  • समृद्धि का प्रतीक: सोना समृद्धि और वैभव का प्रतीक माना जाता है। अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने से घर में सुख-समृद्धि आती है।

अक्षय तृतीया पर भगवान परशुराम की पूजा कैसे करें:

  • प्रातः काल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहन लें।
  • पूजा स्थान को स्वच्छ कर लें और भगवान परशुराम की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
  • प्रतिमा या तस्वीर को गंगाजल से स्नान कराएं और चंदन, फूल, धूप और दीप से उनकी पूजा करें।
  • नैवेद्य अर्पित करें और भगवान परशुराम को भोग लगाएं।
  • भगवान परशुराम की आरती गाएं या मंत्रों का जाप करें।
  • भगवान परशुराम से अपनी मनोकामना प्रार्थना करें।
  • अंत में, ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दक्षिणा दें।
अक्षय तृतीया पर व्रत रखने के नियम:

 

अक्षय तृतीया व्रत रखने के कुछ नियम इस प्रकार हैं:

व्रत की तैयारी:

  • व्रत से एक दिन पहले:
    • सात्विक भोजन ग्रहण करें।
    • मांस, मदिरा और अन्य नशीली वस्तुओं का सेवन न करें।
    • रात्रि में जल्दी सो जाएं।
  • व्रत के दिन:
    • ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें।
    • स्वच्छ वस्त्र पहनें।
    • घर की सफाई करें और पूजा स्थान को स्वच्छ करें।
    • भगवान विष्णु और भगवान परशुराम की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।

व्रत का विधान:

  • सूर्योदय से पहले:
    • भगवान विष्णु और भगवान परशुराम की पूजा करें।
    • गंगाजल से स्नान कराएं।
    • चंदन, फूल, धूप और दीप से उनकी पूजा करें।
    • नैवेद्य अर्पित करें और भोग लगाएं।
    • आरती गाएं या मंत्रों का जाप करें।
    • व्रत का संकल्प लें।
  • पूरे दिन:
    • दिन भर फलाहार ग्रहण करें।
    • लवण, मिर्च और तेल का सेवन न करें।
    • जल, दूध, दही और फल का सेवन कर सकते हैं।
    • दिन भर भगवान का ध्यान करें और धार्मिक ग्रंथों का पाठ करें।
    • दान-पुण्य करें।
    • मन को शांत रखें और किसी से भी झगड़ा न करें।
  • सूर्यास्त के बाद:
    • सूर्यास्त के बाद फलाहार ग्रहण करें।
    • रात्रि में भोजन न करें।
    • अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें।

व्रत का पारण:

  • सूर्योदय के बाद:
    • स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
    • भगवान विष्णु और भगवान परशुराम की पूजा करें।
    • ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दक्षिणा दें।
    • गाय को भोजन खिलाएं।
    • गरीबों और जरूरतमंदों को दान करें।
    • फिर फलाहार ग्रहण करें।
अक्षय तृतीया व्रत के कुछ महत्व: Parshuram Jayanti 

 

  1. यह व्रत भगवान विष्णु और भगवान परशुराम को प्रसन्न करने का उत्तम अवसर है।
  2. इस व्रत को रखने से पुण्य प्राप्त होता है और पापों का नाश होता है।
  3. इस व्रत से धन-धान्य और समृद्धि की वृद्धि होती है।
  4. इस व्रत से ज्ञान, शक्ति और बुद्धि में वृद्धि होती है।
  5. इस व्रत से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  6. अक्षय तृतीया के दिन क्या न करें:

 

  1. इस शुभ दिन पर कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए, जिन्हें करने से बचना चाहिए:
  2. मांस, मदिरा और नशीली वस्तुओं का सेवन:
  3. अक्षय तृतीया के दिन मांस, मदिरा और अन्य नशीली वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। यह दिन सात्विकता और पवित्रता का दिन माना जाता है, इसलिए इन चीजों का सेवन न करना ही उचित है।
  4. क्रोध और झगड़ा:
  5. इस दिन क्रोध, झगड़ा और किसी से भी मनमुटाव नहीं करना चाहिए। मन को शांत रखना और सभी के प्रति प्रेमभाव रखना चाहिए।
  6. झूठ बोलना और गलत काम करना:
  7. अक्षय तृतीया के दिन झूठ बोलना, धोखा देना, चोरी करना और अन्य गलत काम नहीं करने चाहिए। यह दिन सत्य और सदाचार का पालन करने का दिन है।
  8. अपवित्रता:
  9. इस दिन घर और आसपास के स्थानों को साफ-सुथरा रखना चाहिए। अशुद्धि और अपवित्रता से बचना चाहिए।
  10. ऋण लेना और देना:
  11. अक्षय तृतीया के दिन ऋण लेने या देने से बचना चाहिए। यदि आप किसी का ऋण चुका सकते हैं तो यह अच्छा होगा।
  12. अनादर:
  13. इस दिन किसी भी देवी-देवता, गुरुजनों और बड़ों का अनादर नहीं करना चाहिए। उनका सम्मान करना चाहिए।
  14. व्यर्थ के काम:
  15. इस दिन समय बर्बाद नहीं करना चाहिए। इस दिन को आध्यात्मिक कार्यों, पूजा-पाठ, दान-पुण्य और सत्संग में बिताना चाहिए।

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Pandit Rajkumar Dubey

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